गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

रिश्तों’ का रंग बदलता ही’ गया तेरे बाद
रौशनी हीन अलग चाँद दिखा तेरे बाद |
जीस्त में कुछ नया’ बदलाव हुआ तेरे बाद
मैं नहीं जानता’ क्यों दुनिया’ खफा तेरे बाद |
हरिक त्यौहार में’ आनन्द मिला तेरे साथ
जिंदगी से हुए’ सब मोह जुदा तेरे बाद |
रात छोटी हो’ गयी और बहुत लम्बा दिन
अब तो’ जीना हो’ गई एक सज़ा तेरे बाद |
साथ आई थीं’ वो’ आपत्तियाँ’, तुझको ले’ गयी
नहीं’ अब तक टली’ वो बलवा’ बला तेरे बाद |
इश्क में मस्त थे’ हम जिंदगी’ में साथ सदा
अब मुहब्बत से’ भी’ दिलगीर हुआ तेरे बाद |
बेखुदी में था’ सदा तेरे’ मुहब्बत-मय में
साकिया से भी’ मे’रे ध्यान हटा तेरे बाद |

दिलगीर –दुखी , बेखुदी – बेहोश, बेखबर
साकिया – शराब पिलानेवाली
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !