कविता

क्यूं मुकर्रर नहीं?

क्या करे क्या नहीं?
क्यों यह मुकर्रर नहीं?
*
क्यों परेशान सा हैं ?
यहाँ हर कोई आदमी……?
*
उठ रहे सवाल?
कर रहे बवाल?
*
किधर जाए?
हल कोई ?
क्यों मिलता नहीं?
*
मेरे जहन में जिसका तसव्वुर
वो जहान् है कहीं ?
उसके निशान मुझको
क्यों मिलते नहीं?
*
न कोई सकून न वो मस्कन कहीं?
न कोई गमख्वार न वो हमसुखन कहीं?
*
दिल कहता बार बार…. रख जज़्बा ।
यकीनन एक दिन सब मिलेगा… यहीं।
एक दिन सब मिलेगा ….यहीं।

विजेता सूरी, रमण
15.4.2018

विजेता सूरी

विजेता सूरी निवासी जम्मू, पति- श्री रमण कुमार सूरी, दो पुत्र पुष्प और चैतन्य। जन्म दिल्ली में, शिक्षा जम्मू में, एम.ए. हिन्दी, पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक उपाधि, वर्तमान में गृहिणी, रेडियो पर कार्यक्रम, समाचार पत्रों में भी लेख प्रकाशित। जे ऐंड के अकेडमी ऑफ आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेजिज जम्मू के 'शिराज़ा' से जयपुर की 'माही संदेश' व 'सम्पर्क साहित्य संस्थान' व दिल्ली के 'प्रखर गूंज' से समय समय पर रचनाएं प्रकाशित। सृजन लेख कहानियां छंदमुक्त कविताएं। सांझा काव्य संग्रह कहानी संग्रह प्रकाशित।