गीतिका/ग़ज़ल

फ़र्ज से दिन रात करना बेवफ़ाई छोड़ दो

फ़र्ज से दिन रात करना बेवफ़ाई छोड़ दो
छोड़ दो शैतानियत या रहनुमाई छोड़ दो

दूसरों की बात को जो कर रहे हो अनसुना
रहनुमाओं अब ज़रा ये ख़ुदनुमाई छोड़ दो

रोटियां सबसे ज़रूरी मस’अला है देश में
मजहबों के नाम नाहक़ सरख़फाई छोड़ दो

देश की मिट्टी हवा पानी सभी के हैं जनाब
इन सभी के वास्ते करना लड़ाई छोड़ दो

कोठियाँ गाड़ी रुपैया साथ कुछ जाना नहीं
लूट कर मजलूम को करना कमाई छोड़ दो

कर रहे हैं देश को बदनाम वे जो बे हया
देश के उन द्रोहियों से आशनाई छोड़ दो

लिख सके जो सच ड़रे बिन आज के इस दौर में
दोस्तो दावात में वो रोशनाई छोड़ दो

सतीश बंसल
२२.०४.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.