गीतिका/ग़ज़ल

हो जाऊं मै इतना दीवाना

हो जाऊं मै इतना दीवाना ।
तुम छोड़ दो मुझको समझाना ।

क्या ठीक है और गलत क्या है,
इस बात से हूं मै बेगाना ।

जलने से शमा के पहले ही,
जल जाएगा ये परवाना ।

यूँ प्यास मिटाऊं नज़रों की,
बन जाऊं मै तेरा नज़राना ।

प्यास तुम्ही , तुम ही साकी,
तुम पैमाना, तुम मयखाना ।

नीरज निश्चल

जन्म- एक जनवरी 1991 निवासी- लखनऊ शिक्षा - M.Sc. विधा - शायर सम्पादन - कवियों की मधुशाला पुस्तक