सही निदान (संस्मरणात्मक लघुकथा)
आज समाचार की एक सुर्खी पढ़ी-
बात करते समय बीपी चेक करवाने से बढ़ सकता है बीपी
यह सुर्खी पढ़कर मुझे 18 साल पुरानी बात याद आ गई.
एक होम्योपैथिक डॉक्टर से रास्ते में आते-जाते दुआ-सलाम हो जाती थी, पर मैं उससे कोई दवाई नहीं लेती थी, वह बेटे की शादी में आ नहीं पाई थी, इसलिए मैं शाम को उसे मिठाई देने तीसरी मंजिल पर सीढ़ियां चढ़कर गई थी. उसने मुझे देखते ही कहा, ”मैडम, आप इतने हाइ बीपी में कैसे घूम रही हैं?”
तब तक मुझे हाइ बीपी की कोई शिकायत भी नहीं थी. उसने मुझे तनिक बैठने को कहा. तलवे जमीन पर न टिकाने को कहा, पीठ को सपॉर्ट देकर बिठाया, फिर मेरा बीपी चेक किया और हाइ बीपी के बारे में बताकर घर जाकर चुपचाप आराम करने को कहा. उस डॉक्टर की सदाशयता की मैं कायल हो गई और दूसरे दिन सुबह डिस्पेंसरी गई, तो डॉक्टर ने भी मुझे हाइ बीपी बताया.
इस समाचार को पढ़कर मुझे लगा, कि सही निदान होने पर ही सही इलाज हो सकता है. उस डॉक्टर ने सही निदान कर लिया था. आज भी मेरा बीपी साइलैंट है. हाइ हो या लो, मुझे पता ही नहीं चलता.
पुनश्च-
समाचार इस प्रकार था-
– पेशाब करने के बाद ही बीपी चेक कराएं। फुल ब्लैडर से 10-12 mm तक बीपी रीडिंग बढ़ जाती है.
– अगर पीठ और तलवों को पूरा सपॉर्ट न मिले तो भी ब्लड प्रेशर बढ़ जाएगा। इससे 6-10 mm तक रीडिंग बढ़ जाएगी.
– बाएं हाथ का सपॉर्ट किसी मेज पर होना चाहिए ताकि बीपी मॉनिटरिंग कॅफ दिल के पास होकर बेहतर रीडिंग दे सके. ऐसा न करने पर 6-10 mm बीपी बढ़ जाता है.
– बीपी चेक कराते वक्त क्रॉस लेग न करें. ऐसा करने पर बीपी की रीडिंग 2-4 mm तक बढ़ जाती है.
– कपड़े के ऊपर से अगर बीपी मॉनिटरिंग कॅफ से जांच की जाती है तो 5-10 mm बीपी बढ़ने की संभावना रहती है.
– अगर बीपी मॉनिटरिंग कॅफ बाहों की साइज में छोटा है तो रीडिंग 5-10 mm तक बढ़ सकती है.
– बीपी चेक करवाते समय अगर आप बात करते हैं तो भी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. चाय, कॉफी पीने के बाद भी बीपी चेक नहीं कराना चाहिए। इससे भी 8-10 mm बीपी बढ़ जाता है.
अच्छी सलाह, बहिन जी!
कई बार डॉक्टरों की बीपी जाँच करने वाली मशीनें भी खराब होती हैं। एक बार एक चिकित्सा शिविर में तीन चार डॉक्टर बीपी की जाँच कर रहे थे। उनमें से बाकी डॉक्टर तो कभी कम, कभी सामान्य, तो कभी अधिक बीपी बता रहे थे, परन्तु एक डॉक्टर सभी की बीपी कम बता रहा था। मुझे उसकी मशीन पर संदेह हुआ, तो मैंने दूसरे डॉक्टर से भी अपनी जाँच करायी, तो बीपी सामान्य निकला, जबकि पहले वाले डॉक्टर कम बता रहे ऑंखें। तब मैंने उनसे कहा- डॉक्टर साहब लगता है कि आपकी मशीन का बीपी लो है।
प्रिय विजय भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. कई बार डॉक्टरों की बीपी जाँच करने वाली मशीनें भी खराब होती हैं. भाई, हमको जो भी अच्छी जानकारी पाठकों तक पहुंचानी होती है, हम किसी-न-किसी रूप में पहुंचा देते हैं. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
अपने व्यवसाय में काबिल होने के बावजूद कुछ लोग इतने नेक होते हैं, कि उनकी सदाशयता हमेशा याद रहती है. आप भी प्रतिक्रिया में ऐसे लोगों के बारे में अपने अनुभव शेयर कर सकते हैं.