राजनीति

कर्नाटक: फिर संघ पर कांग्रेस का झूठा प्रचार

यह अजीब है कि कांग्रेस को प्रत्येक चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की याद सताने लगती है। शायद उसे लगता होगा कि संघ पर हमला बोलकर वह अपना समीकरण दुरुस्त कर लेगी। लेकिन वह मतदाताओं के मिजाज को समझने में विफल हो रही है। लोग जानते हैं कि सच्चाई क्या है। झूठ का सहारा लेकर लोगों को भृमित नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक बार भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण समाप्त करने की बात नही की। यह सही है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सरसंघचालाक मोहन भागवत ने समीक्षा की बात कही थी। लेकिन इसका उद्देध्य उन दलितों , पिछड़ों को आरक्षण का लाभ दिलाने की व्यवस्था करना था ,जिन्हें अबतक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। इस बयान का तो स्वागत होना चाहिए था। क्योंकि ऐसी समीक्षा की बात स्वयं डॉ आम्बेडकर ने की थी।
इसका बिरोध करने वाले लोग डॉ आंबेडकर के विचारों की अवहेलना कर रहे है। इसमें आरक्षण समाप्ति की तो कोई बात ही नहीं थी। लेकिन उसके बाद से कांग्रेस प्रत्येक चुनाव में यह मुद्दा उठती है। वह झूठ का सहारा लिए है। कहती है कि संघ आरक्षण समाप्त करना चाहता है। कर्नाटक चुनाव में भी कांग्रेस का यह राग चल रहा है।
         पांच वर्षों की नाकामी सिद्धरमैया की मुसीबत बन गई है। बतौर मुख्यमंत्री उनके पास अपनी उपलब्धियां बताने के लिए कुछ भी नहीं है। यह विरोधियों का आरोप नहीं है। बल्कि इसे सिद्धरमैया स्वयं प्रमाणित कर रहे है। जब पांच वर्ष सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री के पास विकास पर कहने को कुछ नहीं है , तब उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी क्या कर लेते। राहुल गांधी के लिए तो वैसे भी नरेंद्र मोदी और संघ पर हमला बहुत प्रिय विषय है। मसला कुछ भी हो ,वह अपनी इसी धुन में रहते है। राहुल गांधी कर्नाटक में भी यही कर रहे है। उन्होंने जनसभा में लोगों से कहा कि पता नहीं आप जानते है ,या नहीं , केंद्र के प्रत्येक मंत्रालय में संघ का एक आदमी बैठा है।
इस प्रकार के भाषण से कांग्रेस के प्रचार का स्तर और मकसद दोनों का अनुमान लगाया जा सकता है। मंत्रालयों की व्यवस्था संविधान के अनुरूप चलती है। राहुल को लगता है कि वहाँ कोई संविधानेतर व्यक्ति है तो उसका खुलासा करना चाहिए। इसके लिए वह न्यायपालिका का सहारा भी ले सकते है। लेकिन राहुल इसका साहस नहीं दिखा सकते । क्योंकि वह जानते है कि उनका कथन झूठ पर आधारित है। इसके अलावा संविधान के अनुरूप संघ से संबंधित किसी व्यक्ति को कहीं नियुक्त किया जाता है ,तो उसपर आपत्ति नहीं हो सकती । संघ राष्ट्रवादी संघठन है। यदि कोई सरकार इससे जुड़े किसी व्यक्ति की संविधान के अनुरूप सहायता लेती है ,या नियुक्ति करती है , तो इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है। नरसिंहराव ने बतौर प्रधानमंत्री विपक्ष के  तत्कालीन नेता अटलबिहारी बाजपेयी को भारत का पक्ष रखने को जेनेवा भेजा था। वह जानते थे कि जब अटल बिहारी वाजपेयी बोलेंगे तो दुनिया उसे सुनेगी। 1962 और 1965 के राष्ट्रीय संकट के समय संघ के स्वयंसेवको ने आंतरिक व्यवस्था संभालने में अतुलनीय योगदान दिया था। इसलिए उन्हें गणतंत्र दिवस परेड में बुलाया गया था।
राहुल को यह बताना चाहिए कि उनकी पार्टी के शासन में विदेशी चश्में से भारत को देखने वाले वामपंथी विभिन्न संस्थानों में क्यो तैनात किए गए थे। उन्होंने तो राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान को कमजोर बनाने का कार्य किया था। वह लोगों को यह बताना चाहते थे कि भारत के पास अपना कुछ नहीं था। विदेशी आक्रांताओं ने हमको ज्ञान दिया।
कांग्रेस आज दलितों और डॉ आम्बेडकर की बात करने लगी है। उसे बताना चाहिए कि वामपंथियों के बारे में आम्बेडकर ने क्या कहा था। उन्होंने वमपंथिययो से सावधान रहने को कहा था। कांग्रेस ने इसका क्यों उलंघन किया।
         लेकिन कांग्रेस के पास इन बातों का जबाब नहीं है। वह कर्नाटक चुनाव में भी संघ पर झूठा आरोप लगा रही है। इसी लिए संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य को बयान जारी कर सच्चाई बतानी पड़ी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उनके अध्यक्ष श्री राहुल गांधी लगातार झूठ बोलकर समाज को भ्रमित करने का विफल प्रयास करते दिखते हैं। इसी कड़ी में उनके अधिकृत फ़ेसबुक पेज पर मेरे और सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत के नाम से एक झूठ चलाया है कि संघ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को संविधान ने दिया आरक्षण समाप्त करना चाहता है। यह अत्यंत आधारहीन और सरासर झूठ है। राहुल गांधी इस अपने दावे के संदर्भ में अधिकृत संदर्भ या स्रोत देने की ईमानदारी दिखाएँ। हिन्दू समाज में चलते सामाजिक भेदभाव के कारण ही अनुसूचित जाति व जनजाति को जो आरक्षण संविधान द्वारा प्राप्त है उसे जारी रहना चाहिए, यही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अधिकृत भूमिका है और संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने समय-समय पर अपने प्रस्ताव द्वारा यह प्रतिपादित किया है। समाज में से सामाजिक भेदभाव समाप्त कर एक समरस समाज की निर्मिति करने के लिए संघ कटिबद्ध और प्रयासरत भी है। राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी के इस झूठ के आधार पर चलने वाली घिनौनी राजनीति की हम घोर भर्त्सना करते हैं।
            मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पिछले दिनों हिन्दू आतंकवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी नहीं देखी, या वह जानबूझ कर न्यायिक टिप्पणी का मजाक उड़ा रहे है।
              सिद्दरमैया ने  भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला जारी रखते हुए एक और विवादित बयान दिया। उन्होंने दोनों को अब हिंदू उग्रवादी बताया है।  कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय से यह शब्द खारिज हो गया था। यूपीए सरकार के कांग्रेसी मंत्रियों ने यह शब्द चलाया था। इन सबकी राजनीतिक दुर्गति हो चुकी है। कि वर्षो बाद सिद्धरमैया ने वही कांठ की हांडी चढ़ाई है।  इसका भी यूपीए जैसा हश्र होगा।  वैसे  भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस को देश में आतंकवाद का मुख्य कारण करार देते हुए आरोप लगाया कि वह अलगाववादियों का समर्थन करती है।  भाजपा ने चुनौती दी कि मुख्यमंत्री भाजपा और संघ के नेताओं को गिरफ्तार करके दिखाएं। यह बयानबाजी ऐसे समय में हो रही, जब राज्य में विधानसभा चुनाव होने को हैं।
भाजपा सांसद शोभा करांदलाजे ने सिद्दरमैया के बयान को गैर जिम्मेदार बताया कहा इस देश में आतंकवाद  का  मुख्य कारण कांग्रेस है। कश्मीर के हालात उसी के कारण हैं। कांग्रेस पर खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करने का आरोप लगाया। जिसका  मुल्क को बहुत नुकसान हुआ।   कांग्रेस पर लिट्टे तथा उसके नेता प्रभाकरण को प्रोत्साहन देने का आरोप है। भाजपा के एक दूसरे नेता और विधायक सुरेश कुमार ने भी सिद्दरमैया को चुनौती दी ।कहा कि वह भी स्वयं सेवक है। इसलिए मुख्यमंत्री की नजर में हिन्दू आतंकवादी है। इस लिए उन्हें गिरफ्तार कर ले। लेकिन यह सभी लोग जानते है कि सिद्धरमैया या उनकी पार्टी ऐसा नही कर सकती। उन्हें तो ऐसी बातों से केवल अपना समीकरण बनाना है। क्योंकि कर्नाटक सरकार की उपलब्धियों का पडला बहुत हल्का है।
 डॉ दिलीप अग्निहोत्री

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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