मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

पंक्षी अकेला उड़ा जा रहा है।

आया अकेला कहाँ जा रहा है।

दूरी सुहाती नहीं आँसुओं को-

तारा अकेला हुआ जा रहा है।।-1

जाओ न राही अभी उस डगर पर।

पूछो न चाहत बढ़ी है जिगर पर।

वापस न आए गए छोड़कर जो-

वादा खिलाफी मिली खुदगरज पर।।-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ