कविता

हमारा वतन !

बात वतन के हित की हो बस कुछ को तकलीफ़ होती है,
हर बात पे बस राजनीति क्या कोई इसकी हद होती है !
वतन के साथ यूं खिलवाड़ न करो राजनीति़ के गलियारों से,
मौके की नज़ाकत समझ रुबरु हो जाओ जयचंदो के विचारों से !
जब आपस में ही फूट पड़ी हो,स्वार्थ की ही बस पड़ी हो,
कैसे हालत सुधरेगी ऐसे में मुश्किल भी  जब द्वार खड़ी हो!
आरोप प्रत्यारोपों से आगे बड़ो अब इनसे कुछ न पाओगे,
इतिहास गवाह है एकता के बिना दुशमन को हरा न पाओगे!
वतन में छुपे सब गद्ददारों को पहचान सामने लाना होगा,
हमारा वतन सुरक्षित बने हमें ऐसा माहौल बनाना होगा!
अपने बस फायदे के लिए देश में गल्त ब्यानबाजी बंद करो,
ट्वीटर से बस मैसेज डालकर न हर किसी से द्वंद करो!

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |