मुक्तक/दोहा

अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर

जीवन के आधार है,भोग रोग अरु योग।
योग नित्य नीरज करो, कभी न व्यापै रोग।
योग करो आसन करो,करो नित्य व्यायाम।
इतना भी ना कर सको ,तो कर लो प्राणायाम।
उछल कूद करिए नही,करे योग व्यायाम।
जीवन जीने की कला,मिले तृप्ति आराम।
योग दिवस पर विश्व को भारत का संदेश
योग करे जो नियमतः उसके कटे कलेश।।
आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी प्रधान सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उ0प्र0 पिन कोड--262722 मो0~9919256950