कविता

मस्त फुहारों का मौसम सब चाह रहे

मस्त फुहारों का मौसम सब चाह रहे,
सावन आया आहट आपकी चाह रहे।
कहाँ छुपे हो स्यामल जलद हमारे जी,
झूम के बरसो कृषक बंधु अब चाह रहे।।

हुआ तुम्हे क्या सखा जलाद बतला देना,
कुछ त्रुटी हुई हो पवन बन्धु कहला देना।
हाँथ जोड़कर विनती आप ही हैं जीवनाधार,
मेरे खेतों में भी वर्षा के बादल टहला देना।।

धूल उड़ रही खेतों में कीचड़ अब होना चाहिए,
फसल उगानी है जलद बारिस अब होना चाहिए।
कंक्रीट के सघन वनों से निकल कर अम्बुधर,
भूमिपुत्र की कर्मस्थली बरसात अब होना चाहिए।।

भोले, शंकर, शम्भु, त्रिलोचन, महादेव मैं जप रहा,
नाथो के नाथ ना करो अनाथ संताप अनल तप रहा।
सावन आया झूम के बारिस प्रभु जलद बिना ना होवे है,
शिव करो शिव हम सबका प्रभु नाम आपका जप रहा।।

प्रदीप कुमार तिवारी
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं