कविता

मिड डे मील

मिड डे मील की व्यवस्था
चल रहा है पूरे देश में
इसमें बच्चों को मिलता
एक वक्त का पौष्टिक आहार

दिन का भोजन पाठशाला में
ताकि गरीब, जरूरतमंद बच्चे
आ सकें प्रतिदिन विद्यालय में

और पा सकें अच्छा खाना रोज
ताकि न हो कुपोषण के शिकार
मन लगाकर पढ़े
सबके साथ समान अवसर
पाकर एक साथ बढ़ें

यह सरकारी योजना है
इसे चलाते गैर सरकारी संस्था हैं
कुछ हैं गैर जिम्मेदार, लालची, बेईमान
भ्रष्टाचार में लिप्त

करते लापरवाही, चलाते मनमानी हैं
यहां तो बहुत बेईमानी है
बच्चे ऐसा खाना खाकर
हो जाते हैं बीमार

कभी निकलता सड़ा अनाज
तो कभी गंदगी का अंबार
कभी कॉकरोच, चूहे
कभी छिपकली तो कभी मरा सांप

अब क्या है बाकी
कहां है देखभाल
बेचारे देश के नौनिहाल

चंद लोग, हां हमारे आपके बीच
बैठे हैं चंद लोग लालच के वशीभूत
रहते हैं ऐसे मौके के तलाश में
अपनी जेबें भरने के फिराक में

मानवता को रखकर ताक पर
खेल जाते हैं मासूम बच्चों के जान से
कहां जाता है ज़मीर ऐसे
लोभी भेड़ियों की

हम भी जानते हैं
और आप भी मानते हैं
ऐसे मोटे खाल के लोगों पर
नहीं पड़ता कोई फर्क
चाहे जाना पड़े इन्हें नर्क

हां, मैं समझती हूं
कुछ पहल तो होना चाहिए
कुछ कदम तो उठाना चाहिए
लोगों को आगे आना चाहिए

स्कूल प्रशासन या हो कोई संस्थान
समय-समय पर जांच होनी चाहिए
नकेल तो कसना होगा

हमें भी अब जागना होगा
किसी अनहोनी, किसी दुर्घटना
घटित होने से पहले चेतना होगा

ऐसे नकाबपोश को करना होगा बेनकाब
होंगे जागरूक, बनेंगे जिम्मेवार
तभी तो होगा,
सभ्य, सशक्त, सुशिक्षित
समाज का निर्माण
और रहेंगे बच्चे सुरक्षित
बनेगा देश महान।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- bablisinha911@gmail.com