गीतिका/ग़ज़ल

कारवां

चलने लगा है मुस्कुराता कारवां ये हयात का
चल पड़ो सब साथ मसला छोड़ जात पांत का

रब ने भेजा है हमें एक ही दुनियाँ में साथ
क्यूं बढ़ाते फ़ासला हो नामुनासिब बात का

चांद सूरज और तारे सबके हैं साझा यहां
रब ने ये तौफा दिया है एक से दिन रात का

आओ मिलके साथ हम सब बैठ के बातें करें
हो शुरु यूं सिलसिला कुछ ऐसी मुलाकात का

कभी तो दिल की सुनों लोगों की बातें छोड़कर
कर न देना अनसुना तुम रुह के जज़्बात का

आओ हम खाएं कसम बातें न हों अलगाव की
मिलकर करेगे सामना कैसे भी हों हालात का

पुष्पा अवस्थी “स्वाती” 

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है