कविता

सिंहों के हाँथ बंधें

गिरती है सीमा पर लाशें,
…………….चैन से हम तुम सोतें हैं।
भूख से व्याकुल बच्चे उस दिन,
…………….सैनिक के घर रोते हैं।।
हम शहीद कह के उनको,
……………..काम आपना कर लेते।
कोई उन माओं से पूछो,
…………….लाल जो अपना खोते हैं।।

बाबा की लाठी बनकर,
……………..जिस बच्चे को चलाना था।
बूढ़े होते बापू का, जिसको-
………………सहारा बनना था।।
आज उठाकर लायें हैं,
………………कंधे पर उसको चार जवान।
चला जलने बापू उसको,
………………जिसके हाँथ ही जलना था।।

सिसक रही है जो पगली,
……………….उसे साजन संग चहकना था।
आया है सांवरियाँ उसका,
………………..आज उसे तो बहकाना था।।
बिलख रही है, सुबक रही है,
………………..पीट रही वो सर अपना।
प्रेम गली में साजन संग,
………………..आज उसे तो भटकन था।।

ऐसे में कुछ गद्दारों नें,
………………आज आवाज उठाया है।
मजहब के उन्मादी नें,
……………….गीत हिन्द ठुकराया है।।
नहीं तिरंगा लहरेगा,
……………….मस्जिद के प्राचीरों से।
जयचंदों की सेना ने,
………………सहमति शीश झुकाया है।।

शर्म तनिक ना आई उनको,
………………गद्दारी जो कर बैठे।
एक अकेले सैनिक पर जी,
……………….चार चपाटें जड़ बैठे।।
ध्यान खूब है शृगालों को,
……………….सिंहों के हाँथ बंधें।
इसी लिए पत्थारबजों नें,
………………..कर्म नाजायज कर बैठे।।

।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं