कविता

“कुंडलिया”

 

आती पेन्सल हाथ जब, बनते चित्र अनेक।

रंग-विरंगी छवि लिए, बच्चे दिल के नेक॥

बच्चे दिल के नेक, प्रत्येक रेखा कुछ कहती।

हर रंगों से प्यार, जताकर गंगा बहती॥

कह गौतम हरसाय, सत्य कवि रचना गाती।

गुरु शिक्षक अनमोल, भाव शिक्षा ले आती॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ