कविता

धुंध छंट गई

समय बदलता ही रहता है
मौसम भी बदलता ही रहता है
कानून भी बदलते रहते हैं
उसूल भी बदलते रहते हैं
समय और मौसम की धुंध
को सहन करना आसान है
पर बदलते उसूलों और नियमों को 
स्वीकार करना बहुत ही कठिन है.

यह जानते हुए भी
कि धुंध का अस्तित्व थोड़े समय का है
हम धुंध का लुत्फ़ नहीं उठा पाते
तुरंत घबरा जाते हैं
तनिक देर में ही 
धुंध छंट जाती है
सूरज धुंध का घूंघट उठाता है
और धूप अपना जलवा दिखाती है

शायद धुंध छंट गई है
एक ही झटके में
बहुत समय से पहेली बने
प्रमोशन में 
आरक्षण को आरक्षण मिल गया
आधार को आधार मिल गया
जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में 
अहम मामलों की सुनवाई को
LIVE देखने का रस्ता साफ हो गया.

कमरे की खिड़की खोलने से
पहले धुंध और बाद में धूप के दर्शन हो गए
इंटरनेट के वातायन को खोलते ही
दो मनमोहक समाचारों के विवरण मिल गए
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 
2022 तक प्लास्टिक का इस्तेमाल 
पूरी तरह खत्म करने की शपथ के लिए
यूएन के ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ सम्मान से 
नवाजा गया है
और
केरल के कोच्चि इंटरनैशनल एयरपोर्ट को 
सस्टेनेबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) की दिशा में 
आगे बढ़ते हुए 
उद्यमी दृष्टि दिखाने के लिए 
अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.

धुंध के बाद धूप के दर्शन
और मनमोहक समाचारों के विवरण से
लगने लगा है
धुंध छंट गई
धुंध छंट गई
धुंध छंट गई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “धुंध छंट गई

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    सुन्दर रचना लीला बहन ,सही बात है हम जल्दी घबरा जाते हैं ,धुंद तो छट ही जाती है .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. हम जल्दी घबरा जाते हैं, धुंध तो छंट ही जाती है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    बहुत समय से बहु प्रतीक्षित मनमोहक समाचारों पर नजर पड़ते ही ऐसा लगने लगा, मानो धुंध छंट गई, धूप खिल गई.

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