लघुकथा

किडनी-उपहार

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद सोनिका अब स्वस्थ हैं. सोनिका की दो बेटियां हैं, जो अपनी मां को फिर से स्वस्थ देखकर खुश हैं. सोनिका ने कहा कि वह अपनी सासू मां के प्रति बहुत आभारी हैं, क्योंकि उन्होंने तब मदद की जब मायके ने उनका साथ नहीं दिया. हालिया अतीत की बात सोनिका कैसे भुला सकती थी?

दोनों गुर्दे खराब हो जाने के कारण सोनिका पिछले एक साल से दवा की मदद से रह रही थीं. फिर डॉक्टर्स ने बताया कि उनके दोनों गुर्दे फेल हो चुके हैं और उसके पास केवल दो ही विकल्प बचे थे, डायलिसिस पर रखा जाना या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना. डायलिसिस लंबे समय तक चलने वाला विकल्प नहीं है, इसलिए किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था.

सोनिका की मां भांवरी देवी सोनिका की हालत से भलीभांति वाकिफ थी, लेकिन उन्होंने सोनिका को किडनी डोनेट करने से मना कर दिया और सोनिका के भाई और पिता भी नहीं माने.

ऐसे में उसकी 60 वर्षीय सासू मां गनी देवी आगे आईं. ”बहू, तू चिंता मत कर. कोई भी तेरा साथ न दे तो क्या हुआ, तेरी सासू मां तेरे साथ है. मैं तुझे अपनी एक किडनी दूंगी, एक किडनी से मेरा गुजारा भी हो जाएगा.”

 

सासू मां के इस अनमोल उपहार को भला सोनिका कैसे भुला सकती है!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “किडनी-उपहार

  • लीला तिवानी

    सास और बहू के रिश्ते में फिल्मों से लेकर धारावाहिकों तक में लड़ाई और खटास ही दिखाई जाती है, इस रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए राजस्थान में एक बहू का साथ उसकी सास ने तब थामा, जब मायके ने साथ छोड़ दिया। राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांधी नगर क्षेत्र के निवासी गनी देवी (60) ने अपनी बहू सोनिका (32) को किडनी डोनेट करने का फैसला किया।

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