बाल कविता

तभी दशहरा होता है

(बाल काव्य सुमन संग्रह से बाल गीत)

अंधकार से जीते उजाला,
तभी दशहरा होता है.
शांति की हो विजय नाद पर,
तभी दशहरा होता है.
प्रेम विजित हो जब ईर्ष्या पर,
तभी दशहरा होता है.
न्यायी जीते अन्यायी पर,
तभी दशहरा होता है.
बुद्धि सफलता प्राप्त करे जब,
तभी दशहरा होता है.
पाप-मुक्त हो धरा सुहानी,
तभी दशहरा होता है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “तभी दशहरा होता है

  • मनमोहन कुमार आर्य

    नमस्ते बहिन जी। आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी। सादर धन्यवाद।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको कविता बहुत अच्छी लगी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    आप सबको दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं.
    जम्मू-कश्मीर में भले ही कुछ तत्व नफरत की दीवार खड़ी कर यहां शांति-भाईचारे को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हों। मगर उत्तर प्रदेश से हर साल आने वाले इस मुस्लिम परिवार की मदद के बिना विजयदशमी पर्व की धूम संभव नहीं है। ये मेहमान मुस्लिम भाई हिंदुओं के साथ मिल कर भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल दे रहे हैं। पिछले 38 साल से जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों के लिए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने का काम कर रहे इस परिवार के सदस्यों का कहना है कि दहन के दौरान जब वे लोगों के चेहरों पर खुशी देखेंगे तो उनकी मेहनत फलीभूत हो जाएगी । यहां रहीम के बनाए रावण का दहन करते हैं राम.

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