सामाजिक

इंटरनेट मीडिया का अतिशय उपयोग

व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक, लिंकिडइन, मैसेंजर, ट्विटर, इत्यादि समूहों को हम में से बहुत से व्यक्ति अतिशय उपयोग कर रहे हैं । हर समय छोटी बड़ी बातों पर आवश्यक अनावश्यक कुछ न कुछ गुटरगू होती रहती है ।

हर किसी की दिलचस्पी या भागीदारी हर चीज़ में नहीं होती पर उन्हें वह सब पढ़ना पड़ता है ।बाद में उस सब पढ़े हुए कूड़े या सूँघे हुए पुष्पों को हटाना या डिलीट करना पड़ता है । यह भी एक काम हो गया है जिसे परवश हर व्यक्ति को आज कल करना पड़ रहा है ।

जो भी शब्द या वाक्य हम लिखते हैं वह हर किसी को इच्छा अनिच्छा द्रष्टिगोचर व मन-गोचर करना पड़ता है ! इसके कारण सब लोगों को कितना समय व ध्यान इस क्रिया में वृथा ही लगाना पड़ता है !

सब लोग यदि लिखने से पहले सोचें कि क्या यह बास्तव में सबके ध्यानाकर्षण के लिये आवश्यक है तो मानवता का बहुत सा समय व ध्यान बचाया जा सकता है व वहाँ लगाया जा सकता है जहाँ आवश्यक है ।

हमें स्वयं अपने शरीर, मन, आत्मा, परिवार, समाज, देश, पृथ्वी व ब्रह्माण्ड को हमारी इस चैतन्यता, प्रयास, ध्यान व कर्मशीलता की आवश्यकता है ! आवश्यक नहीं कि कोई सुविधा संसार में हमें मिली है तो हम उसे हर समय प्रयोग कर स्वयं व दूसरों का ध्यान खींच कर सृष्टि की संपदा का दुरुपयोग करें ।

ऐसा कर हम अपने पारिवारिक, सामाजिक, दैनिक, दैशिक व बृह्माण्डीय सम्बंधों को भी और बेहतर कर सकते हैं ! ऐसा कर हम कर्म में गति दे, ज्ञान के मर्म में गहरे पैठ व भक्ति में प्रतिष्ठित हो परम पुरुष की योजना को समझते हुए उसमें भरपूर योगदान कर सकते हैं !

उदाहरण के लिये जैसे कि यदि हमारे पास फोन हो और हम हर समय दूसरों को फोन करते रहें तो कुछ दिन बाद लोग हमारा फोन उठाना बंद कर देंगे या हमारा नं ब्लॉक कर देंगे । व्हाट्सऐप या मैसेंजर उससे भी ज़्यादा बड़ा माध्यम है अन्य लोगों को दुखी, सुखी या आनन्दित करने के लिये !

धीरे २ बुद्धिजीवी परिपक्व हो कर यह समझ व सीख सकेंगे कि हमारे मन, बुद्धि व आत्मा की इस अद्भुत व महान सम्पदा को कैसे सही व समुचित कार्यों में लगाया जाए ! जितनी जल्दी यह हो जाए, हमारा व विश्व का कल्याण हो सकेगा ।

यथाशीघ्र हमें यह सीखना पड़ेगा कि कैसे समूह कम किए जाएँ, अनावश्यक संदेश कम परोसे जाएँ व गुणवत्ता वाले संदेश ही भेजे जाएँ ! आवश्यकतानुसार व्यक्तिगत संदेश भी भेजे जाएँ जिससे कि सामूहिक समय वर्बाद न हो ! हर समूह में भागीदारी भी आवश्यक नहीं !

इंटरनेट की दुनियाँ को उतना ही समय दिया जाए जितना आवश्यक हो ! व्यक्तिगत, शारीरिक, पारिवारिक व सामाजिक कार्यों को पर्याप्त समय देना स्वास्थ्य, धनोपार्जन, मन की चैतन्यता व समाज के उत्थान के लिये परमावश्यक है !

अपने मनन व सृजन को कभी कभी संजो कर भी रखना चाहिए क्यों कि अपनी बुद्धि व आत्मा की सारी सम्पदा को सबको सब समय दिखा कर या खिला कर उनके मन में अपच पैदा करना व अपना महत्व कम करना भी अच्छा नहीं है !

हम को जो भी जागतिक, भौतिक, शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक सम्पदा, सुविधाएँ, अभिव्यक्तियाँ व शक्तियाँ मिली हैं उनका समुचित व सार्वभौमिक उपयोग करना ही हमारे अनन्तकालीन उज्ज्वल भविष्य के लिये उपयुक्त है !

गोपाल बघेल ‘मधु’