बाल कविता

अच्छी आदतें

झटपट जागो सुबह को मोनू
जाना है तुम्हें पाठशाला,
दांतुन करके नहा धोकर
पीना है दूध, भर प्याला।

करो ना परेशान मां को तुम
मां होती है बहुत ही प्यारी,
ममता से भरा है मन उसका
वह है जग में सबसे न्यारी।

पापा की सब बातें सुनना
बहुत करते हैं तुमसे वो दुलार,
उनके हृदय का टुकड़ा हो तुम
देना उनको सम्मान और प्यार।

अपनी शिक्षिका की बातें मानना
करना ना उन की अवहेलना,
सबसे पहले जाकर पाठशाला
उनको प्रणाम है तुम्हें करना।

फिर मिलकर अपने दोस्तों से
उनका हाल चाल है पूछना,
जो भी पढ़ाई होती है कक्षा में
ध्यान लगाकर है सब सुनना।

जब खेलने का समय होता है
ना किसी से तुम झगड़ना,
जो भी खेल सिखाएं गुरुजी
मन लगाकर सब सीखना।

जब खाने का समय हो जाए
मिल बांट कर सब कुछ खाना,
बांटने में है बहुत खुशी मिलती
सारी खुशियां तुम बटोर लेना।

जो भी नियम है पाठशाला के
उनका कभी उल्लंघन ना करना,
आज तुम हो एक नन्हा बच्चा
कल अच्छा नागरिक है बनना।

गर्व से अपने माता- पिता के
शीष तुम्हें ऊंचा है सदा रखना,
तुम नन्हे मुन्ने सिपाही देश की
देश का भविष्य उज्जवल करना।

पूर्णतः मौलिक-ज्योत्स्ना पाॅल।

*ज्योत्स्ना पाॅल

भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त , बचपन से बंगला व हिन्दी साहित्य को पढ़ने में रूचि थी । शरत चन्द्र , बंकिमचंद्र, रविन्द्र नाथ टैगोर, विमल मित्र एवं कई अन्य साहित्यकारों को पढ़ते हुए बड़ी हुई । बाद में हिन्दी के प्रति रुचि जागृत हुई तो हिंदी साहित्य में शिक्षा पूरी की । सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर एवं मैथिली शरण गुप्त , मुंशी प्रेमचन्द मेरे प्रिय साहित्यकार हैं । हरिशंकर परसाई, शरत जोशी मेरे प्रिय व्यंग्यकार हैं । मैं मूलतः बंगाली हूं पर वर्तमान में भोपाल मध्यप्रदेश निवासी हूं । हृदय से हिन्दुस्तानी कहलाना पसंद है । ईमेल- paul.jyotsna@gmail.com