कविता

सत्य !

सपने देखो -सपने देखो ,और शुद्ध विचार हो |
अटल -रहो अटल रहो ,पर कभी न अहंकार हो ||

निगाह लक्ष्य पर रखो ,जो हृदय की पुकार हो |
सतत प्रयाश हो और ,सनातनी संस्कार हो ||

सत्य आज लड़ रहा है ,असत्य के प्रहार से |
युगों -युगों से जीतता है ,अपने दृढी व्योहार से ||

असत्य के रूप है बहुत ,पर सत्य रूप एक है |
एक राम रूप है यहाँ ,दशासन रूप अनेक है ||

बालपन में ही सत्य के , था कंस बौखला गया |
असफल प्रयास थे ,पर असत्य तिलमिला गया ||

वीर -धीर -सत्य का ,कब हुआ विनाश है |
दुष्ट वो बचा नहीं -जिनका रावणी प्रयास है ||

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से