कविता

दोस्त

 

मेरे लब की मुस्कुराहट पर वो मेरे आँशु पहचान लेता है।
दबे है मन मे जो अल्फाज,उनकी आवाज वो जान लेता है।।

मुझे कभी मालूम ना था जिस्म पर कितने खंजर लगे है मेरे।
बस मेरी आह से वो मेरे शरीर के खंजर पहचान लेता है।।

अभी मैं जिंदा हूँ, अभी भी कुछ होश मुझमें बाकी है ।
कि अभी भी बहुत से दुश्मनों में कुछ दोस्त बाकी है।।

माना सय्याद शातिर है पर कैद ना कर पायेगा वो पंछी को,
कि पंछी उड़ ना सकता हो बेशक ,पर हाथ पकड़कर उसके
साथ उड़ने वाले अभी उसके बहुत से दोस्त बाकी है ।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)