कविता

फिर सदाबहार काव्यालय-2

पुस्तकें

पुस्तकें पढ़ने के सुख का
कोई जवाब नहीं
जो कुछ भी न सिखा सके
ऐसी कोई किताब नहीं
महान लेखकों व महान विचारकों की रचनाएं
हम तक पहुंचाती हैं पुस्तकें
सही समझ बनाती हैं
समझदारी से भरी पुस्तकें
हमारी जानकारी का क्षेत्र
विस्तृत करती हैं पुस्तकें
ज्ञान और मनोरंजन का
असीम स्त्रोत हैं पुस्तकें
जीवन को
सुसज्जित करने वाले गुणों का
निस्सीम भंडार हैं पुस्तकें
सबसे आगे रहने की
उत्कट अभिलाषा
जाग्रत करती हैं पुस्तकें
सफल होने का विश्वास
मन में जगाती हैं पुस्तकें
सांस्कृतिक विरासत को
गहनता से समझाती हैं पुस्तकें
प्रेरणा का अजस्त्र स्त्रोत हैं
अनुभवों से ओतप्रोत हैं पुस्तकें
ज्ञान-विज्ञान का
अखंड भंडार हैं पुस्तकें
वास्तविक और काल्पनिक कहानियों का
विचित्र आगार हैं पुस्तकें
हमारी जानकारी का क्षेत्र
विस्तृत करती हैं पुस्तकें
शिखर तक पहुंचने के हेतु
सीढ़ी समान आवश्यक होती हैं पुस्तकें
नए-नए रास्तों को
अन्वेषित करती हैं पुस्तकें
नए-नए रास्तों पर
दृढ़तापूर्वक चलाती हैं पुस्तकें
देश-विदेश की सैर कराती हैं पुस्तकें
खुद से पहचान कराती हैं पुस्तकें
आनंद के झरने बहाती हैं पुस्तकें
प्रेम का सागर लहराती हैं पुस्तकें
सबसे अनमोल धन है
मानवता के लिए पुस्तकें
मानवता का श्रंगार हैं
रोचक, मनोरंजक व ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें.

लीला तिवानी

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फिर सदाबहार काव्यालय-2

  • लीला तिवानी

    यह कविता लगभग 40 साल पहले अपने स्कूल की लाइब्रेरियन के कहने लाइब्रेरी के बुलेटिन बोर्ड के लिए उसी समय लाइब्रेरी में बैठकर लिखी गई.

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