सामाजिक

कमाल के किस्से-18

ये कमाल क्या है? कमाल क्यों होता है? कमाल कब होता है? कुछ पता नहीं, पर हो जाता है. चलिए आज हम फिर कमाल की ही बात कर लेते हैं. पहले प्रस्तुत हैं कमाल के किस्से की पिछली कड़ी में कुछ पाठक-कामेंटेटर्स की प्रतिक्रियाओं में किस्से कमाल के-

आदरणीय लीला बहन एक कमाल का किस्सा मुझे भी याद आ गया. मेरी बड़ी बहन का जब जन्म हुआ तो कुछ ही दिन बाद उसके कूल्हे में एक फोड़ा हो गया. बहुत इलाज कराया, अनेक बार आपरेशन कराया पर फोड़ा था कि कुछ दिन बाद फिर निकल आता था. एक बार मेरी स्व. माता जी बहन को लेकर गाँव गयी हुई थी. मेरी माता जी के ही परिवार के एक भाई, जो जन्म से ही सूरदास थे, वह भी हमारे ही गाँव में आये हुए थे. जब उन्हें पता चला कि मेरी माता जी गाँव में आई हुई हैं, तो वह मिलने हमारे घर आये. बातों-ही-बातों में माता जी ने उन्हें बहन की बीमारी के विषय में बताया. हमारे सूरदास मामा जी जो कि स्वयम् की बनाई हुई जड़ी-बूटियों की दवाओं से आस पास के क्षेत्र के सभी गांवों में आयुर्वेदिक इलाज करते थे. वह जड़ी-बूटियाँ भी स्वयं ही ढूंढ कर लाते थे, दवा भी स्वयं बनाते थे और सटीक इलाज करने के लिये विख्यात थे. विशेष कर फोड़े-फुंसी का तो वे रामबाण इलाज करते थे. मामा जी ने बहन की नाड़ी का परीक्षण किया. उसके बाद अपने झोले से एक दाढ़ी बनाने वाले ब्लेड से बहन के फोड़े का ऑपरेशन कर दिया, फिर दवा लगाकर पट्टी की और खाने के लिये भी कुछ पुड़िया दी और यह कमाल हुआ कि उसके बाद मेरी बहन के कूल्हे पर कभी फोड़ा नहीं हुआ. कमाल यह भी है कि किस प्रकार एक सूरदास जंगल में जाकर जड़ी बूटी को पहचानता था, उन्हें उनका उपयोग भी पता था, उन्हें यह भी पता था कि दवा कैसे बनानी है. यह सारा इलाज वे मुफ़्त करते थे.

इंद्रेश उनियाल

कमाल की गुड न्यूज- 
दिल्ली में अब इलेक्ट्रिक टू वीलर टैक्सियां भी चलेंगी. दिल्ली इलेक्ट्रिक वीइकल पॉलिसी-2018 में इसकी मंजूरी दे दी गई है. इस सर्विस के लिए ऐप से बुकिंग भी हो सकती है और मेट्रो स्टेशनों के बाहर भी इनकी फैसिलिटी मिल सकेगी. दिल्ली सरकार ने लास्ट माइल कनेक्टिविटी को ध्यान में रखते हुए ई-टू वीलर टैक्सी को मंजूरी दी है. अभी गुड़गांव में मेट्रो स्टेशनों के बाहर पेट्रोल से चलने वाली टू वीलर टैक्सी मिल सकती है, लेकिन दिल्ली सरकार ने पेट्रोल से चलने वाली टू वीलर टैक्सी चलाने की मांग को पहले नहीं माना था.

कमाल का समर कोर्स
जर्मनी की लाइपजिष यूनिवर्सिटी में अगस्त और सितंबर में कई “समर कोर्स” आयोजित किए जाते हैं. इन्हीं में एक है “स्पोकन संस्कृत”. दुनिया भर से लोग यहां संस्कृत में बातचीत करना सीखने आते हैं.

कमाल की जिम्मेदारी-
करेंगे वोट, नहीं होने देंगे लोकतंत्र पर चोट.
मिजोरम में एक 106 वर्षीय महिला मतदान करने पहुंची थीं. मतदान करने के लिए सिर्फ युवाओं में ही नहीं बल्कि बुजुर्गों में भी उत्साह देखने को मिला. मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में एक 101 वर्षीय महिला ने भी मतदान किया.

कमाल की कर्त्तव्यपरायणता-
मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को वोटिंग थी. राज्‍य के देवास में रहने वाले संतोष नाम के व्यक्ति ने हर मतदाता के लिए आदर्श पेश किया. प्रसव के दर्द से तड़प रही पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराकर वह 120 किलोमीटर दूर अपने गांव वोट डालने आया, ताकि उसका वोट बर्बाद न हो. इतना ही नहीं उसने अपने बेटे का नाम मतदान रखा है.

कमाल का नरेंद्र मोदी से मुलाकात का मौका-
नमो ऐप के जरिए बीजेपी को 5 रुपये से लेकर 1000 रुपये डोनेट करने वालों को रेफरल कोड मिलेगा. रेफरल कोड पाने वाले को इसे अपने कॉन्टैक्ट्स के पास भेजना होगा. अगर इस रेफरल कोड का इस्तेमाल कर 100 लोगों ने डोनेट किया तो शख्स को नरेंद्र मोदी से मुलाकात का मौका मिल सकता है.

दलदल में फंसी मां तो 32 घंटों तक पास में ही खड़ा रहा हाथी का बच्चा
कर्नाटक के कोदागाराहल्ली में एक हाथी कीचड़ में डेढ़ दिन तक फंसी रही. वह असहाय थी, लेकिन उसका बच्चा हिम्मत बांधने के लिए उसके साथ खड़ा रहा. आखिर में हाथी को सही-सलामत बाहर निकाल लिया गया.

दुनिया के 10 अजीबोगरीब पुल, नाम देखकर दंग रह जाएंगे
1.फ्लैटों के बीच से पुल, चीन
2.फेयरी वॉकिंग ब्रिज, चीन
​3.टीकवुड ब्रिज, म्यांमार
4.लेटफॉसन झरने पर बना पुल, नार्वे
5.​बेंसन ब्रिज, अमेरिका
6.​डेविल ब्रिज, जर्मनी
7.कैपिलानो झूला पुल
8.जोंघाई ब्रिज, चीन
9.​स्काई ब्रिज, मलयेशिया
10.गोल्डन ब्रिज, वियतनाम
इनके नाम ही बहुत कुछ बयां करते हैं.

कमाल के शौक-
सुंदर और दुर्लभ चीजों को सहेजकर रखने का शौक ही मानवीय स्‍वभाव की पहचान है. कुछ चीजों को सहेजने में मजा तो आता ही है, साथ ही ज्ञान भी प्राप्‍त होता है.

विभिन्न चीजों को कलेक्‍ट करने वालों के नाम-
1.नेक टाई कलेक्‍ट करने वाले को grabatologist कहा जाता है.
2.विभिन्‍न देशों की पोस्‍टल स्‍टांप कलेक्‍ट करने वालों को philatelist
3.अलग-अलग देशों की करंसी कलेक्‍ट करने वालों को numismatist
4.पोस्‍टकार्ड कलेक्‍ट करने वालों को deltiologist
5.चिड़ियों के अंडे का संग्रह करने वालों को oologist
6.टेडी बेअर कलेक्‍ट करने वालों को arctophile
7.बटरफ्लाई और मोथ्‍स कलेक्ट करने वालों को lepidopterist
8.विभिन्‍न प्रकार की flies और insects कलेक्‍ट करने वालों को dipterist
9.पुराने बॉन्‍ड और शेयर सर्टिफिकेट कलेक्‍ट करने वालों को scripophilist

कमाल की मदद-
10 साल की बच्ची करीब 6 महीने पहले घर का रास्ता भटक गई थी. लड़की को पता याद नहीं था, बस इतना पता था कि उसके घर के पास मंदिर-मस्जिद एक साथ बने हैं. बोलचाल और पहनावे से बच्ची हरियाणा की लग रही थी इसलिए खोजबीन का दायरा हरियाणा तक ही रखा गया. करीब 5 महीने की जद्दोजहद के बाद टीम को भिवानी में मंदिर-मस्जिद एक पास होने की जानकारी मिली. गुड़गांव सहित 12 शहरों में खोजबीन के बाद टीम को भिवानी में मंदिर-मस्जिद के पास-पास होने की जानकारी मिली. इसके बाद स्टेट क्राइम ब्रांच की ऐंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम ने भिवानी के इकबाल नगर जाकर बच्ची के माता-पिता को उसे सौंपा.

इसी के साथ ‘किस्से कमाल के’ की इस कड़ी को हम यहीं पर विराम दे रहे हैं. आप भी कामेंट्स में कमाल के अन्य किस्से भेज सकते हैं. कामेंट्स में आए आपके कमाल के किस्से अगली कड़ी में आप अपने नाम से देख पाएंगे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “कमाल के किस्से-18

  • लीला तिवानी

    इस बार तो कमाल के किस्से इतने कमाल के हैं, कि बस पढ़ते ही मुंह से कमाल है! निकल जाए. साल 2018 का आखिरी महीना दिसंबर शुरु हो गया है और हमारे कमाल के किस्सों की यह कड़ी भी 18वीं है. मानो तो, यह भी कमाल है.

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