गीतिका/ग़ज़ल

* मेरा पता मिल जाएगा*

आँधियों में भी जो जलता हुआ मिल जाएगा,
उस दिये से पूछना मेरा पता मिल जाएगा
डाली से टूटे फूल को तुम पैरों तले भी रौंद लो
फिर भी फ़िज़ा में मेरे प्यार की महक फैलाएगा
उड़ने वाले उड़ के चाहे तू आसमान को छू ले
दाना चुगने के लिए तो इस सरज़मीं परआएगा
झूठ का दामन पकड़ आज मस्तियों में झूम ले
तेरे किये हर कर्म का अंजाम वक़्त बतलायेगा
होंठो पे है मुस्कराहट दिल में कितना ज़हर है,
तेरी इन बातों का दुनिया को पता चल जायेगा
अब भी वक़्त है समझ ले दिल अपना साफ़ कर
वरना उसके दरबार में तू क्या मुँह लेकर जायेगा
सच की राह पे चल के देख, परमात्मा को याद कर
तुझसे नफरत करने वाला भी,तुझको गले लगाएगा,

— जय प्रकाश भाटिया  

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845