मुक्तक/दोहा

आस

धरती प्यासी, अम्बर प्यासा,
हवाओं का भी रुख उदास,
उड़ चले वो उस दिशा में
पंछी बुझाने अपनी प्यास,

ऐ हवाओं अब दे दो साथ,
लेकर उनकी ये पुकार।
बिन पंखों के मैं उड़ जाऊँ,
पूरी करने उनकी आस।

हर्षा मूलचंदानी

पति - श्री कन्‍हैया मूलचंदानी स्‍थायी पता - भोपाल, मध्‍यप्रदेश मातृभाषा - सिन्‍धी लेखन - सिन्‍धी, हिन्‍दी, गुजराती नौकरी - मध्‍यप्रदेश शासन, विधि मंत्रालय, भोपाल लेखन विधा - तुकांत, अतुकांत, मुक्‍तक, नज्‍़म, गज़ल, दोहा, गीत सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन , राष्ट्रीय पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित , राष्ट्रीय स्‍तर पर मंचो पर काव्यपाठ,सेमिनार में पेपर पढना एवं साहित्यिक कार्यशालाओं में उपस्थिति , मंच संचालन , आकाशवाणी भोपाल से प्रसारित साप्‍ताहिक सिन्‍धी कार्यक्रम में कम्‍पीयर