गीतिका/ग़ज़ल

मेरा वतन

मेरा वतन

वतन हिन्द मेरा मेरी जान है |
यही शान अपनी यही मान है |

अमन का पुजारी अमन चाहता –
अमन हो जहाँ में ये अरमान है |

तिरंगा हमारा झुकेगा नहीं –
मेरे देश की यह ही पहचान है|

है मिट्टी यहाँ की तिलक भाल का –
यही आत्म गौरव ये सम्मान है |

विविध जाति धर्मों के खिलते सुमन –
ये वो बाग जिसकी अजब शान है |

ये हिन्दू मुसलमां ये सिख पारसी –
ये हिन्दोसतां की ही संतान हैं |

जो इस सच को झुठला करे नीचता –
कृतघ्नी हैं वो कितना हैवान है |

मिटा शत्रु को आन रखना सदा –
वतन के लिए जान कुर्बान है |

‘मृदुल’ भावना शक्ति की साधना –
यही मान सम्मान अभिमान है |
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल ‘
लखनऊ ,उत्तरप्रदेश

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016