कविता

अरमानों का खून

सच पूछो तो भगत सिंह तेरे
अरमानों का खून हुआ है
तेरे बलिदान को अनदेखा किया है
तेरे खून के कतरा-कतरा को नीलाम किया है |
आजाद हिंदुस्तान के नेताजी ने
आजादी को खूब भुनाया
स्विस बैंक में खाता खुलवाया
फिर उसको भरने के वास्ते
घोटालों का रिकार्ड बनाया |
कथनी करनी में इनके अंतर
अपने ही घर में षडयंत्र रचाया
लूटकर आदिवासियों की जमीनें
वेघर उन्हें बनाया
उद्योगपतियों को आँख बंदकर फायदा पहुंचाया |
देकर जन्म लाल सलाम को
भारत माँ के सपूतों को आपस में लडवाया
आजादी की कुर्बानियों को भुलाया
सच पूछो तो भगत सिंह तेरे
सपनों का भारत बन नहीं पाया… |

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111