कविता

अपनी सरकार बनाते है

चुनाव के इस रण में
चलो अपनी भी चलाते है
इस बार किसी और की नहीं
अपनी सरकार बनाते है

जवानो के मनोबल को बढ़ाते है
गद्दारो को उसके अंजाम तक पहुंचाते है
५६ इंच का सीना इस बार
हम भी दिखलाते है
इस बार किसी और की नहीं
अपनी सरकार बनाते है

गरीबो और किसानो का कल्याण करवाते है
जात पात से ऊपर उठ कर
ऐसा समाज बनाते है
इस बार किसी और की नहीं
अपनी सरकार बनाते है

इक्छाधारी हिन्दुओ से देश
को बचते है
मुस्लिम , सिख को भी ये बताते है
इस बार किसी और की नहीं
अपनी सरकार बनाते है

७२००० के लॉलीपॉप को ठुकराते है
अपने दम पे देश को ऊपर ले जाते है
पाकिस्तान हो या चीन सब को ये बताते है
एक बार तो आँख उठा कर देखो नानी याद दिलाते है
इस बार किसी और की नहीं
अपनी सरकार बनाते है

रवि प्रभात

पुणे में एक आईटी कम्पनी में तकनीकी प्रमुख. Visit my site