लघुकथा

अनकहा भय

“हा हा अब वक्त है मेरा , बदला लूंगी देखना ।कैसे मुझे अधजली हालत में नाली में फैंक देते थे ।” सिगरेट मनुष्य पर हावी थी आज ।
“ओह छोड़ दो ,छोड़ दो मुझे ,जल रहा हूँ छोड़ दो ।”
“हाँ वैसे भी जले हुये को क्या जलाना ,तुम्हारे फेफडे़ तो पहले ही मेरे धुएं से …”
“ओह फिर सपना देख रहे हो उठ आओ तुम भी ना।”
“आज तो सिगरेट ही मुझे पी रही थी सपने में ।” पतिदेव के माथे पे पसीना -पसीना उभर आया।
” वैसे भी सिगरेट ही तुम्हें पी रही है डाक्टर की रिपोर्ट व पान की दुकान के बिल ने पहले ही बता दिया है मुझे।डाक्टर ने कहा है अभी भी वक्त है पर पानवाला ये न कहेगा ।” पत्नी की बात सुन पति के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगी, टेबल पर पडे़ सिगरेट केश में सिगरेट का आधा टूकडा़ उसे घूरता सा लगा उसने उठाकर खिड़की से बाहर फैंक दिया ।

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - alpanaharsh0@gmail.com बीकानेर, राजस्थान