गीत/नवगीत

सूरज, तुम फिर भी चमकते रहोगे

(विज्ञान गीत)

वैज्ञानिक भले ही अनुमान लगाते रहें,
कि एक दिन यूं हमेशा के लिए ‘अस्त’ हो जाएगा सूरज,
हम भले ही आम भाषा में कहते रहें,
सूरज अस्त हो गया, सूरज उदित हो गया,
तुम न अस्त हो, न उदित होते हो,
तुम फिर भी चमकते रहोगे.

वैज्ञानिकों का अनुमान है,
कि आने वाले 10 अरब साल बाद,
तुम इंटरस्टेलर गैर और धूल का एक चमकदार छल्ला बन जाओगे,
तुम फिर भी चमकते रहोगे.

वैज्ञानिकों का अनुमान है,
ग्रहों और तारों के,
इंटरस्टेलर गैर और धूल का एक चमकदार छल्ले बनने को,
ग्रहों की निहारिका (प्लेनेटरी नेबुला) के तौर पर माना है,
जो सभी तारों की 90 प्रतिशत सक्रियता की समाप्ति का संकेत देता है,
तुम फिर भी चमकते रहोगे.

वैज्ञानिकों का अनुमान है,
जब एक तारा खत्म होने की कगार पर होता है,
तो वह अंतरिक्ष में गैस और धूल का एक गुबार छोड़ता है,
जिसे उसका एनवलप कहा जाता है,
यह एनवलप तारे के भार का करीब आधा हो सकता है,
तुम फिर भी चमकते रहोगे.

वैज्ञानिकों का अनुमान है,
तारे के भीतरी गर्म भाग के कारण ही,
उसके द्वारा छोड़ा गया एनवलप करीब 10,000 साल तक,
तेज चमकता हुआ दिखाई देता है,
इसी से ग्रहों की निहारिका साफ दिखाई पड़ती है,
तुम फिर भी चमकते रहोगे.

वैज्ञानिकों का अनुमान है,
एनवलप छोड़े जाने के बाद,
तारे तीन गुणा ज्यादा तेजी से गर्म होते हैं,
इससे सूरज जैसे कम भार वाले तारों के लिए,
चमकदार निहारिका बना पाना आसान हो जाता है,
तुम फिर भी चमकते रहोगे.

वैज्ञानिकों की बात मान भी लें,
तो आने वाले 10 अरब साल बाद,
आज के ये वैज्ञानिक न होंगे, हम न होंगे,
10 अरब साल बाद अपना,
एनवलप छोड़े जाने के बाद,
चमकदार निहारिका के रूप में तुम रहोगे,
तुम फिर भी चमकते रहोगे,
लीला तिवानी

मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.

मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.

मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
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फिर सदाबहार काव्यालय के लिए कविताएं भेजने के लिए ई.मेल-
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सूरज, तुम फिर भी चमकते रहोगे

  • लीला तिवानी

    वैज्ञानिक भले ही कितने भी अनुमान लगाते रहें, सूर्य की चमक-दमक असीम है और वह चमक-दमक युगों-युगों से कायम है और कायम ही रहेगी, ऐसा ही वैज्ञानिकों का भी अनुमान है.

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