कविता

मन की रीत

बात करते करते हमसे वो
सहमति न होने पर बात से,

अक्सर वो लड़ लेते थे हमसे,
कहते हमेशा बात नही होगी अब,

फिर भी रोज़ सवेरे उनका,
आता सुप्रभात का संदेश,

देख कर सन्देश उनका सुबह
सोच बात रात की आती मुस्कान ,

सब खत्म करने चले एक दिन
लेकिन खुद को रोक न सके,

कैसी मजबूरी थी उनकी ,
या कुछ बात थी हममें ,

जो खत्म करने वाले भी
कुछ नही खत्म कर सके कभी ,

अजीब होता है ये रिश्ता जो,
जुड़ता है मन से मन का ,

कितनी भी कोशिश कर ले वो,
हमसें दूर नही जाएंगे कभी ,

एक कशीश है हममें, बातों में
जो रोकता है उनको जाने से ।।।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।