गीत/नवगीत

प्रणय गीत – अनहद गुंजन अग्रवाल

प्रणय निवेदन भेज रही हूं,
कर लेना स्वीकार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर
कर लेना अधिकार प्रिये।

ढूंढ रहे हैं व्याकुल नैना
दर्श तुम्हारा मिल जाये।
पतझर सा मन में छाया है
तनमन बगिया खिल जाए।
छूले जो फिर रोम रोम में
भर जाए झनकार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर……

बांच अगर तुम लेते आकर
तृषित ह्रदय की मूक व्यथा।
नयनों के ये अश्रु बहकर
क्यूँकर लिखते विरह कथा।
भाव हृदय में कल्पित होते
तुम दिल के उदगार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर…….

जब तुम आओगे सावन में
पुरवा भी बौराएगी।
झमझम बूंदें नाच उठेंगी
प्रेम बदरिया छाएगी।
सपनों की नदियां का मिलना
हो जाए साकार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर……..

तुम ही मौन अधर का “गुंजन”
तुम ही तो उर स्पंदन हो।
तुम ही मेरे प्रथम प्रणय हो
तुम मेरा अभिनंदन हो।
अंतर्मन में तड़प उठी है
सूना है अभिसार प्रिये।
मेरी हर धड़कन साँसों पर…..
– अनहद गुंजन अग्रवाल

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*