कविता

श्रावण मास पवित्र है

श्रावण मास पवित्र है
झर झर बरसे नीर
शिवशंकर अविनासी है
करत दुखों के दूर।

भांग धतूरा खात है
रहत सदा मतवाल
अपने भक्तों को निज
करत सदा उद्धार।

वर्षा बरसे बिजली चमके
श्रावण मास में शोर मचावे
कावरिया की भीड़ लगी
मुख से निकले बम का जयघोष।

बाबा करते है उद्धार
शरण में आए को लाज बचाए
शिव शम्भू अविनाशी है
पिए भांग मतवाले है!

सर पे चंदा ,सर पे गंगा
चम चम चमके , निर्मल झर के
सब ब्रह्माण्ड समाहित है
शिव शम्भू अविनाशी है।
विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।