गीत/नवगीत

रिमझिम पड़ी फुहारें

रिमझिम पड़े फुहार सुहानी,ऋतु वर्षा की आये ।
सँवर सँवर कर वृक्ष लताएं ,मन को रही रिझाये ।
 घेरे में  सागर  की  बाँहों ,सरिता  है   इठलाती ।
लहर-लहर बनकर हमजोली , झूम-झूम कर गाती ।
अवनी के शुभ आमंत्रण पर ,उमड़-घुमड़ घन आये ।
सँवर सँवर कर————-
दादुर ,हरि का नृत्य मदिर है, कोकिल गान अनोखा ।
ताप-उष्ण से जले हृदय पर ,शरद वायु का झोंखा ।
बहक रहा मादक मौसम भी ,लय -सुर -ताल मिलाये ।
सँवर सँवर कर————-
कारी  बदरी  ने वआँगन में, अनुपम  छटा बिखेरी ।
चपल, चतुर बन लहक रही है,चित को चुरा चितेरी ।
नव कोंपल उभरे वसुधा में, हरित हृदय कर जाए ।
सँवर सँवर कर————–
चूनर धानी ओढ़  धरा भी , दुल्हन  सी  लगती  है ।
शबनम के वो मोती चुनकर ,निज आँचल भरती है ।
दृश्य मनोहर ताक प्रकृति का ,हृदय हिलोरें खाए ।
सँवर सँवर कर————–
— रीना गोयल 

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर