गीत/नवगीत

इसरो पर संतोष हुआ

चांद पे अपना चकोर गया तो, देख के वो मदहोस हुआ
दुनिया दिवाना समझ है बैठी, कहती वो बेहोस हुआ
देख के वो मदहोस हुआ…………………….

जिस दर से दुनिया डरती थी, दीदार चकोर ने वहां किया
जहां सांसे सबकी थमती थी, इजहार चकोर ने वहां किया
धडकन पर काबू नही रहा, सदियों में पहली बार मिला
नजराना पेश किया उसने, बस थोडा सा खामोस हुआ
देख के वो मदहोस हुआ…………………….

कदम नही भटके हैं उसके, बस बांहों में वो झूला है
मिलन बडा ये अनोखा है, पल भर के लिये वो भूला है
खुशी के मारे झूम उठा, सपना साकार किया उसने
महताब के उदगम में जाकर, कुछ पल के लिये वो ओस हुआ
देख के वो मदहोस हुआ…………………….

सम्बंध मधुर फिर बन जायेंगे, ऐसा व्यवहार करेगा वो
अब दुनियां सांसे थामेगी, ऐसा परसार करेगा वो
सारे जग के अरमान उससी से, निष्फल नही वो हो सकता
देव भूमि की महि से गया जो, उसका ठंडा नही जोश हुआ
देख के वो मदहोस हुआ…………………….

हतास हुये न निराश हुये, अभी (राज) कई दिखाना है
बे नकाब चांद को कर दूंगा, अभी चिलमन को हटाना है
जिसके पीछे जग सारा हो, विफल नही वो हो सकता
अब दीवानापन तो देखना, इसरो पर संतोष हुआ
देख के वो मदहोस हुआ…………………….

राजकुमार तिवारी (राज)

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782