सामाजिक

रामरहीम कांड को लेकर विभिन्न लोगों की प्रतिक्रियाएं/विचार

1. रामरहीम के अंधभक्त- हमारे “पिता जी” ने ऐसा कुछ नहीं किया है। उन्हें जानकर फंसाया जा रहा है। वे निर्दोष है। वे तो समाज सेवा का बहुत काम करते हैं।

2. रामरहीम के पूर्व भक्त- आखिर पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता अवश्य है। रामरहीम को उसके किये पापों की सजा मिल ही गई। हमने उसके इन कारनामों के चलते उसका डेरा छोड़ दिया था। हम इसलिए चुप थे क्यूंकि हम अगर मुंह खोलते तो वो हमें मरवा देता।

3. मीडिया- जब तक राम रहीम के समर्थकों ने मीडिया के वाहनों को तोड़ा नहीं था। तब तक खट्टर सरकार ने इतने आदमी क्यों इकट्ठे होने दिए। संगत के इंटरव्यू लिए जा रहे थे। संगत को मानवता का पैगाम देने वाला बताया जा रहा था। जैसे ही संगत में शामिल गुंडों ने मीडिया की गाड़ियां तोड़ी। यही मीडिया उनकी बुराई करने बैठ गया। अभी तक आलोचना कर रहा है।

4. साम्यवादी विचारक- धर्म एक अफीम है। इसलिए हम ईश्वर और धर्म को नहीं मानते। हिन्दू धर्म ढोंगी बाबाओं की दुकान मात्र है। इसलिए धर्म का त्याग करो और तर्कशील बनो।

5. सनातनी हिन्दू- यह ईसाईयों का षड़यंत्र है। हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए। जैसे आशाराम बापू को जेल भेजा वैसे ही रामरहीम को भी भेज दिया।

6. मुसलमान और ईसाई – चुप रहकर मौके पे चौका लगा रहे है। डेरे से असंतुष्ट लोगों को अपने मत में शामिल करने का प्रयास करने की फिराक में है।

7. नेता- सभी वोटों के लिए डेरों के चक्कर काटते हैं। आज एक डेरा बंद हुआ है। तो क्या हुआ। अभी तो ऐसे ऐसे हज़ारों डेरे है। दूसरा पकड़ लेंगे। हमें तो वोट चाहिए। कहीं से मिले।

8. आर्यसमाजी- मेरे जैसा आर्यसमाजी इन डेरों के पनपने का कारण, उसके निराकरण आदि पर विचार कर रहा है। धर्म की मूल परिभाषा के लोप होने, धर्म और मत/मतान्तर में भेद न समझ पाने, जातिवाद, अन्धविश्वास, अशिक्षा, दिखावा,राजनीतिक संरक्षण, लोगों के पुरुषार्थ से अधिक चमत्कार में विश्वास, आर्यसमाज जैसी संस्थाओं के निष्क्रिय होने,धर्मगुरुओं के पाखंड आदि के चलते ऐसे डेरों का प्रचलन पिछले कुछ वर्षों में डेरों का प्रभाव बड़ा हैं। इसका समाधान केवल वेदों के सत्य सन्देश का प्रचार प्रसार हैं।

— डॉ विवेक आर्य