गीत/नवगीत

चांद के पार चलो

चांद के पार चलो, चांद के पार चलो,
चलो – चलो अब चांद के पार चलो।
चांदनी मचल रही, चांद को निहार कर,
यामिनी लहर रही, राग तान-तान कर।
कीर्ति है बुला रही, इसरो को ताक कर,
फिर उठो झूम झूम, चन्द्रयान टू चलो
चांद के पार चलो, चांद के पार चलो,
चलो – चलो अब चांद के पार चलो।
चन्द्रमा के भाल पर, छाप अपनी छोड़ दो,
चन्द्र का विजय निशान, व्योम में उछाल दो।
आज लाल की लालिमा, ललाट में उतार दो,
विक्रम को साज कर, गगम पार ले चलो
चांद के पार चलो, चांद के पार चलो,
चलो – चलो अब चांद के पार चलो।
हम विजय के गीत गाएं, चांद के कपार पर
रोशनी भी चढ़ रही है, चांद के छोर-छोर पर,
है जगत निहारता, हिन्द की कोर-कोर पर
तो सूर्य सा तेज धार अपना पग बढ़ा चलो
चांद के पार चलो, चांद के पार चलो,
चलो – चलो अब चांद के पार चलो।

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047