स्वास्थ्य

क्या भारत विश्व का ‘डायबिटिक कैपिटल’ बन जायेगा?

क्या भविष्य के कुछ सालों बाद ही भारत की 10 प्रतिशत तक की आबादी शुगर की मरीज हो जायेगी ? यह मात्र दुःस्वप्न नहीं, अपितु भारत की तीन प्रतिष्ठित मेडिकल सम्बन्धित संस्थाएं क्रमशः पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड एवेल्यूएशन और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च नामक संस्थाओं ने वर्षों के अपने गहन शोध के बाद जो रिपोर्ट प्रकाशित किया है, उसके अनुसार भारत में पिछले पच्चीस सालों में डायबिटीज के मामलों में 64 प्रतिशत की अप्रत्याशित और दुःखद वृद्धि होने की संभावना है, जो इस देश और यहाँ के समाज के लिए अत्यंत ही चिंता की बात है। एक शोध रिपोर्ट के अनुसार 2017 में भारत में डायबिटीज रोगियों की संख्या 7.2 करोड़ थी, परन्तु अगले छः सालों में भारत में इनकी संख्या 13.5 करोड़ हो जायेगी।
यह रोग अग्नाशय की लैंगरहैंस कोशिकाओं द्वारा एक विशिष्ठ हार्मोन जिसे इंसुलिन कहते हैं, को पर्याप्त मात्रा में निर्माण न करने के कारण होता है। यह हार्मोन शरीर में शर्करा की मात्रा को संतुलित रखने में मददगार होता है। इसकी कमी से रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, यही शुगर या डायबिटीज रोग है । इस रोग को ‘साइलेंट किलर ‘भी कहते हैं, क्योंकि इसके रोगियों को सामान्य लोगों से तीन गुना अधिक हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है।
यह रोग आधुनिक शहरी जीवन शैली के अन्तर्गत फास्टफूड खाने से, भारतीयों को डायबिटीज होने के सबसे प्रमुख कारणों में उनकी बेरोजगारी और नौकरी से छँटनी होने का खतरा, मकान, बच्चों की शादी, उनके जीवन में बच्चों की शिक्षा में स्कूलों की अनापशनाप लाखों-करोड़ों रूपयों में फीस, बिमारियों की हालात में प्राइवेट अस्पतालों की बेतहाशा लूट से उत्पन्न मानसिक तनाव है, इसके आतिरिक्त खूब तैलीय, मसाले दार खाना तथा जेनेटिक व भयंकर प्रदूषण भी इसके कारण हैं, जो प्रायः हर भारतीय छोटे-बड़े शहरों में एक भयंकर समस्या होकर रह गई है। एक मेडिकल सर्वे के अनुसार प्राइवेट स्कूलों के 30 प्रतिशत बच्चे मोटापे के गिरफ्त में हैं, जिसमें बहुत से प्रोडायबिटिक हाइपरटेंशन के शिकार हैं।
इस रोग में खूब भूख और प्यास लगती है, बार-बार मुँह सूख जाता है, जल्दी और गहरी थकावट होना, आँखों की दृष्टि कम होते जाना, नपुसंकता, मानसिक अवसाद, मोटापा आदिआदि लक्षण हैं।
इससे बचाव के लिए भोजन में मीठा, तैलीय, मसालेदार, चावल, आलू आदि ज्यादे कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थों, अत्यधिक मीठे फलों आदि से परहेज़ व रोटी, हरी सब्जियों, करैला, दालें, सलाद खाना चाहिए इसके साथ कुछ समयान्तराल पर शुगर टेस्ट कराकर इंसुलिन युक्त दवाइयां या इंजेक्शन लेना ही बचाव के उपाय हैं। इस रोग में हाथ-पैरों की सफाई पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। यह रोग अत्यधिक मानसिक तनाव से खूब बढ़ता है। इसके विपरीत भारत में कदम-कदम पर खुशहाली के विपरीत निराशा, यात्राओं में अकथनीय परेशानी, बेरोजगारी, मंहगाई आदि समस्याओं से एक सामान्य भारत का नागरिक तनाव से ग्रस्त होकर, डायबिटीज, हृदयरोग, हाइपरटेंशन आदि व्याधियों से प्रायः घिरकर इस रोग से ग्रसित हो जाता है। यहाँ की सरकारों का भी कर्तव्य है कि वे ऐसी नीतियों को लागू करें और अपनाएं ताकि देश की जनता खुशहाल रहे, जैसे दुनिया के बहुत से देश अपनी जनता की खुशहाली, उसके अच्छे स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार आदि का इंतजाम करके उनका जीवन सुखमय बनाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।

— निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल .nirmalkumarsharma3@gmail.com