लघुकथा

दीवानगी

पिकनिक का आनंद सभी ले रहे थे नाव हिचकोले खा रही थी और साथ ही मानस अपने उठती गिरती साँसों पर काबू पाने का असफल प्रयास कर रहे थे । मृदुल बच्चों के संग अंताक्षरी का आनंद ले रही थी लेकिन उमंग पापा की बेचैनी महसूस कर घबराने लगा ।”आप ठीक तो हैं !”
थर्मस से चाय निकाल कर उनकी ओर बढ़ाया लेकिन वह बार बार अपने कंधे पर रखे बैग एवं जेब टटोलते रहे ।
वह अपलक उन्हें निहारते हुए मन ही मन सोच रहा था । ठीक दादी माँ की रसोईघर की तरह पापा का शरीर भी लगातार धुएँ के सेवन से घुटन महसूस कर रहा होगा । क्यों नहीं वह अपनी सांसों पर काबू पा रहे हैं ?शायद उन्हें जलन भी हो रही होगी । मानस के बैग से सिगरेट की डिब्बी गिरी ; उमंग लपक कर उठा लिया ।बाप बेटे के बीच संस्कारों की बेड़ियां काम कर गई ।
चाह कर भी बेटे के हाथों से डिब्बा नहीं ले पाये । पति की बेबसी समझते हुए कुछ कहना चाही । “अररे ये क्या ! तुमने सिगरेट के टूकड़े क्यों कर दिये ?”
“मम्मा आप ही कहती हैं ना ; आपकी और पापा की जान बच्चों में बसती है पर बिल्कुल झूठ , इनकी जान तो इस सिगरेट में बसती है ।जैसे यह सिगरेट आसानी से टूट गया वैसे ही पापा दिनों दिन कमजोर होकर टूट रहे हैं ।क्यों आप अपनी बेबसी और घुटन छूपाती हैं?”
” जिसे अपने बच्चों एवं परिवार से प्यार होगा वह कभी भी नशे का गुलाम नहीं होगा । नशे के आगे परिवार एवं प्यार का नशा पापा के अंदर दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहा है ।”
बढ़े हुए हाथ थम गये सैकड़ों नश्तर अंग-प्रत्यंग में समाते जा रहे हों ऐसा प्रतीत हो रहा था।
एक दृढ़ संकल्प से उसकी आँखें चमक उठी सिगरेट का पैकेट बेटे से लेकर झील में पूरी ताकत से उछाल दिये।
अररे वाह ; इतनी प्यारी कशिश ! पत्नी एवं बच्चों के बाहों के घेरे कसते चले गये।
प्यार की दीवानगी से रोम-रोम पुलकित हो उठा ।

— आरती राय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com