कविता

बस अभी जगा हूँ

 

*बस अभी जगा हूँ , सपनो के भवर जाल से,*
*कदम अभी चले है,जो फॅसे थे मकड़जाल में,*

*मन की जकड़न ने भी अभी अंगड़ाई ली है।*
*पैरो की बेड़ियों ने भी अभी पैरो को रिहाई दी है।।*

*ह्रदय की धड़कन ने भी तोड़े है अब भय के जाले,*
*मंजिल मिले ना मिले अब कदम नही रुकने वाले,*

*माना राह के काँटो ने पैरो को कई बार छला है।*
*ठोकर खाते पैरो ने खुद को पत्थर सा बुना है।।*

*सम्मान पाने के लिये झूठ से समझौते किये थे मैंने,*
*अब सच्चाई से जियूँगा ये वादा खुद से किया है मैंने,*

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)