लघुकथा

रोबोट

”भैय्या, सादर प्रणाम, मैं विपक्ष द्वारा आयोजित रैली में प्रतिभागिता करने जा रहा हूं. बचकर आ गया तो नियत समय ऑस्ट्रेलिया आ पाऊंगा, अन्यथा अलविदा.” वाट्सऐप पर दिनेश का मैसेज दिल हिला देने वाला था.

”मेरे प्यारे भाई, तुम कब से रोबोट बन गए, मुझे पता ही न चला. अब तुमने ठान ही लिया है, तो मान तो सकते ही नहीं! कल की एक फोटो भेज रहा हूं.”

”यह तो अपने संतरे के पेड़ की फोटो है न! इस पेड़ का इतना बुरा हाल कैसे हो गया?’ दिनेश ने चिंतित होकर लिखा.

”सही पहचाना. यह फोटो एक ही दिन में नष्ट हुए तुम्हारे उसी प्रिय संतरे के पेड़ की है, जिससे तुम रोज संतरे तोड़कर रोज दोपहर में हमें खिलाया करते थे.”

”पर यह सब हुआ कैसे?”

”कुछ नहीं, बस एक काकातूआ आया था. ढेर सारे संतरे लगे देखकर कां-कां करके शोर मचा दिया. ढेर सारे काकातूआ आ गए और सब बरबाद कर गए. शाम को ऑफिस से आया तो यह हाल था.”

”वे तो काकातूआ थे, एक आह्वान पर दिग्भ्रमित होकर फट से रोबोट बन गए और हमारी संपत्ति बरबाद कर गए. मैं तो इंसान हूं. अपने देश, अपने देश की संपत्ति, अपनी संपत्ति का नुकसान कैसे कर सकता हूं!” वाट्सऐप पर यह भेजकर दिनेश ऑस्ट्रेलिया जाने की तैयारी में जुट गया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “रोबोट

  • लीला तिवानी

    हरी-भरी धरा और
    स्वच्छ जल की धार हो,
    महकती हवा चले और
    खिलती धूप का साथ हो।
    बे-खौफ़ शहर मेरा
    और मुस्कराते लोग हों,
    बस इतनी सी दुआ लेकर
    नए वर्ष की शुरुआत हो।

    हम आप और हमारे सभी अपने स्वस्थ्य, सम्पन्न और प्रसन्न रहें, इसी कामना के साथ नए वर्ष 20 20 की हार्दिक शुभकामनाएं। 🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌄🙏🏻

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