लघुकथा

माँ की ममता

माँ की ममता
—————-
‘ भारत रिसर्च सेंटर ‘ के मशहूर वैज्ञानिक डॉ रस्तोगी आज बेहद प्रसन्न नजर आ रहे थे । उन्होंने यंत्रचालित मानव के सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में तरह तरह की भावनाएं डालने की तकनीक विकसित कर ली थी । दुनिया भर के वैज्ञानिक उनकी इस उपलब्धि का साक्षात्कार करने के लिए भारत रिसर्च सेंटर पर पधार चुके थे और अगले कुछ ही घंटों में उन्हें सबके सामने भावनाओं से युक्त उस मशीनी मानव का प्रदर्शन करना था ।
सबके समक्ष प्रदर्शन से पहले उन्होंने एक मशीनी मानव को जिसे सिलिकॉन की मदद से एक महिला का रूप दिया गया था नजदीक ही एक रोते हुए एक छोटे बच्चे को चुप कराने का आदेश दिया और उसे समझाया ,”  यह तुम्हारा ही बच्चा है और तुम इसकी माँ हो ! “
तत्काल ही वह मशीनी मानव आदेश का पालन करने में लग गया । किसी महिला की भाँति उसे गोद में उठाकर चुप कराने का प्रयास करने लगी लेकिन बच्चा चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा था । लगभग पाँच मिनट बाद ही डॉक्टर रस्तोगी की झुंझलाहट भरी आवाज गूँजी ,” क्या कर रही हो ? नहीं चुप हो रहा तो उसको उठा कर पटक दो , उसकी आदत सुधर जाएगी ! “
मुड़कर उस मशीनी मानव ने रस्तोगी की तरफ देखा , उठी और अचानक बिजली की सी तेजी से एक झन्नाटेदार थप्पड़ रस्तोगी की गाल पर रसीद करते हुए बोली ,” क्या तुझे तेरी माँ ने इसी तरह चुप कराया था ? “
थप्पड़ से लाल अपने गालों को सहलाते हुए रस्तोगी की आँखों में आँसू आ गए थे , खुशी के आँसू !

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।