कविता

वैलेंटाइन ( कविता )

वैलेंटाइन
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प्रेम के रंग में डूबा है
आज देश ये सारा
पर मेरी नजरों में तो कुछ
अलग है नजारा
उफ्फ ! कैसे भूल पाऊंगा
वो भयानक मंजर
जिसे देखकर देश के
सीने पर चली थी खंजर
दहल गया था दिल
और बरस पड़ी थीं आँखें
जब चौवालीस बहादुरों ने
ली थी अंतिम साँसें
चिथड़े चिथड़े जवानों की तस्वीरें
आज भी मुझे रुलाती हैं
करने को दो दो हाथ मुझे
हिमालय की चोटियां बुलाती हैं
कैसे मनाऊं प्रेम का
यह मनहूस दिवस
यही तो वह दिन है
जब पूरा देश हुआ था विवश
खूब मनाओ यह
प्यार का त्योहार
लेकिन सोचो उनके
बारे में भी एक बार
अमर रहें जवान
अमर है उनकी कुर्बानी
जरा याद कर लो उनकी
अमर हो उनकी कहानी

पुलवामा हमले में शहीद जवानों को प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि ! जय हिंद ! जय हिंद की सेना !

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।