कविता

बेटी

यह भारत बेटा- बेटी पर अनजान दिखाई देता है,
ईश्वर की उस रचना का अपमान दिखाई देता है।
जो बेटी को कोख में मारे वो कैसा हत्यारा है,
क्यों बेटी से प्यार नहीं और पुत्र सुता से प्यारा है।
यदि लड़की से नफरत है तो पत्नी भी एक लड़की है,
जिसने तुमको जन्म दिया है वो माता भी लड़की है।
क्या गलती है उस बेटी की जो कोख तुम्हारी आई है,
तुम दुखों में बदल रहे हो वो खुशियां लेकर आई है।
जिसके घर में जन्मित बेटी वो बढ़भाग्य निराला है,
अम्बार मिला है खुशियों का बस वो किस्मत वाला है।
बेटी वीणा बेटी दुर्गा साक्षात् जगदंबा माँ,
सारा जग जिसको हा पूजे करती दूर विलंबा माँ।
मैं रोती प्रतिमाओं का प्रतिमान मांगने आया हूं,
मैं केवल महिलाओं का सम्मान मांगने आया हूं।
मैं झांसी की रानी के अरमान बताने आया हूं,
सुनो अवंती बाई के एहसान बताने आया हूं।
मदर टेरेसा सी बेटी का कर्ज बताने आया हूं ,
मैं खुद की बेटी के प्रति खुद का फर्ज बताने आया हूं ।
 — मोहित शुक्ल 

मोहित शुक्ल

B.Sc. NDUAT Kumarganj ayodhya ग्राम -बरौला लखीमपुर खीरी