मुक्तक/दोहा

मुक्तक

पल पल गुमसुम से बैठे हो,तुम भी ना
ऐसे मुझे क्यों देख रहे हो,तुम भी ना

अपनी शोख नज़र से मेरी आँखों में
लफ्ज़ ए मुहब्बत लिख देते हो,तुम भी ना ..
@नमिता राकेश