कविता

घने अंधेरे छायेंगे

घने अंधेरे छायेंगे,
विपत्ति भी डेरे लगायेंगे |
देख प्रतिकूल हालातों को,
शूल स्वयं बिछ जायेंगे ||
हर अवरोध को मेट सदा ही
पथ पर आगे बढना होगा !
दु:ख में धीरज धरना होगा !!

गमों की बारात सजेगी,
सुखन धार विपरीत बहेगी |
आशाओं की दीवार गिरानें,
चहुंओर से बयार चलेगी ||
मुश्किल के हर काल चक्र में
सुख का अभिनय करना होगा !
दु:ख में धीरज धरना होगा !!

असंतोष का ज्वार उठेगा,
ले रौद्ररूप अपयोग चलेगा |
जिंदगी में इस समर क्षेत्र के,
हर पडाव तूफान मिलेगा ||
जीवन की हर उथल- पुथल को
स्वयं व्यवस्थित करना होगा !
दु:ख में धीरज धरना होगा !!

— कंचन कृतिका

कंचन कृतिका

कंचन साहू 'कृतिका' पुत्री- श्री गायत्री प्रसाद साहू जन्मतिथि- 15-08-1996 गोण्डा, उ० प्र०, 271504 ईमेल- kanchansahu150895@gmail.com