कविता

इस समय हमको क्या करना चाहिए 

हमको बहुत देर तक
घर से बाहर नहीं रहना चाहिए
घड़ी पर नज़र रखते हुए
मुश्किलों का हल तलाशना चाहिए
तेज कदमों से चलते हुए
पांव के पीछे छूट जाने का ख्याल रखना चाहिए।
हमको रोना नहीं चाहिए
आंसू बचाकर रखना चाहिए
दुर्दिन में लोगों को परखना चाहिए
और भरोसे के आख़िरी क्षण तक
हौसले के साथ लड़ना चाहिए।
संघर्ष जिनकी नियति है
हम वे लोग हैं।
दुःख जिनके भाग्य में चिरस्थायी है
हम वे लोग हैं।
हर्ष का स्वप्न देखना भी जिनके लिए अपराध है
हम वे लोग हैं।
हम विशाल-अथाह सागर के किनारे
कई सदियों से खड़े प्यासे लोग हैं
हमको संघर्ष से मुँह नहीं चुराना चाहिए
दुःख में तनिक भी नहीं घबराना नहीं चाहिए
और सुख का स्वप्न तो देखना ही नहीं चाहिए
हमको कई सदियों तक प्यासे रहने के लिए
ईश्वर को कोसने के बजाय
धीरे-धीरे समुद्र की ओर रेंगना चाहिए
और अपने रक्त में जल मिश्रित कर
देवताओं को समर्पित कर देना चाहिए।
इस समय हमको
ईश्वर से आशिर्वाद मांगने के बदले
आदिम मनुष्यों की तरह
पत्थर से पत्थर रगड़कर आग उत्पन्न करना चाहिए
औज़ार बनाना चाहिए
धरती के हृदय में बीज बो कर
फसलें उगानी चाहिए
पंक्षियों से दोस्ती करना चाहिए
नदियों से मुहब्बत करनी चाहिए
वृक्षों की पूजा करनी चाहिए।
इस समय हमको ईश्वर के वरदान पर नहीं
अपने श्रम पर विश्वास करना चाहिए
और अपनी सम्पूर्ण शक्ति से
नई सभ्यता के निर्माण का संकल्प लेना चाहिए।
— मोहन कुमार झा

मोहन कुमार झा

शोधार्थी हिन्दी विभाग, बीएचयू, वाराणसी मो. - 7839045007 ईमेल - mohanjha363636@gmail.com