राजनीति

ग़रीबी और शहरी गरीबी क्या हैं 

ग़रीबी वह हैं जिसमें व्यक्ति के दैनिक जीवन निर्वाह के लिए बुनियादी जरूरतों की पूरा न कर पाने वाली स्थिति उत्पन्न होती है यह गरीबी किसी भी गांव के भूमिहीन श्रमिकों मजदूरों की शहरों में भीड़ भरी झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की भी हो सकती हैं और उनकी भी को काम की तलाश में लाखों की संख्या में गाॅ॑व से शहर पलायन करने को मजबूर होते हैं इसका मुख्य कारण हैं जरूरत के मुताबिक भोजन, कपड़ा, मकान, गाॅ॑वों में बेसिक सुविधाएं जैसें सड़के,पानी,बिजली,उचित शिक्षा,रोजगार,सामाजिक भेदभाव होने के कारण सामान्यतः  उपलब्ध नहीं हो पाता हैं यहीं कारण हैं अधिकतर लोग शहरों की ओर पलायन करने को विवश होते हैं । माना जाता हैं कि एक गाॅ॑व या एक नगर का हर चौथा व्यक्ति इस गरीबी की श्रेणी में आता हैं जो रोजमर्रा की जिंदगी से रोटी के लिए जूझता हैं इनमें वैसे लोगों की संख्या अधिक हैं जो अधिकतर अनपढ़, अल्प साक्षर हैं ज्यादातर लोगों का मानना हैं कि यह मलिन बस्तियों के शहरी गरीबी की श्रेणी में आते हैं यह दैनिक वेतन भोगी या अल्प आमदनी के लोग भी हो सकते हैं इनमें बाल श्रमिक की संख्या ज्यादा होती हैं जो कम उम्र में चाय के ढांबे पर, जूता पॉलिश करने,कंपनियों में, कारखानों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर के रूप में होते हैं । साथ ही भिखारी, खाना बनाने वाले,घर– घर कूड़ा उठाने वाले लोग भी हो सकते हैं । शहरों में असंगठित क्षेत्र के लोग गरीब वर्ग में आते  है जिन्हें भारत सरकार ने चार भागों में विभक्त किया है–व्यवसाय, रोजगार की प्रकृति, विशेष रूप से, पीड़ित श्रेणी एवं सेवा श्रेणी के लोग आते हैं । जिसमें कुल भारतीय कार्यबल के लगभग 90% औपचारिक क्षेत्र के गांव में खेती करने वाले लोग, सब्जी बेचने वाले, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई करने वाले, निर्माण कार्य  करने वाले श्रमिक संघ के लोग आते हैं । रोजगार की प्रकृति में प्रवासी मजदूर, बन्धुआ मजदूर, दैनिक मजदूर आते हैं विशेष एवम् पीड़ित श्रेणी में दिहाड़ी मजदूर, बोझा ढोने वाले मजदूर,महिला मजदूर और अन्य काम करने वाले श्रमिक आते हैं असंगठित मजदूरों के बीच गरीबी और शहरी गरीबी के बीच गरीबी उन्मूलन एक सेतु का काम करती हैं इन सभी क्षेत्रों के निर्माण कार्य अनौपचारिक रूप से किए जाते हैं । यही गांवों से शहरों में पलायन का मुख्य कारण हैं किन्तु हाल ही यह पलायन शहरों से गांवों की ओर देखने को मिला इसका मुख्य कारण कोविद– 19 वायरस हैं जिससे पूरा विश्व प्रभावित हुआ हैं किन्तु सबसे अधिक श्रमिक वर्ग को इसका प्रभाव झेलना पड़ा है हालांकि सरकार सभी सुविधाएं मुहैया कराने का अथक प्रयास कर रही हैं किन्तु दैनिक वेतन भोगी श्रमिक वर्ग जिसे पीने का पानी भी सामान्यतः उपलब्ध नहीं हो पाता वह कई बार हाथ कैसे धुले,सेनिटाइजर ,मास्क जो कि मुख्य सुरक्षा कवच हैं वह कैसे मुहैया हो खास कर उसे जिसे भोजन एक समय का ठीक से नसीब नहीं होता हो ..उसके पास पलायन के सिवा दूसरा कोई विकल्प भी क्या हो सकता हैं  बहरहाल पूरे देश में 21 दिनों के बंद के सबसे ज्यादा तकलीफ देश दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को झेलनी पड़ रही हैं। फैक्ट्री बंद होने से काम न मिलने के कारण मजदूर मजबूरन भूख से या आत्महत्या करने को मजबूर हैं । बड़ी संख्या में मजदूरों ने एक राज्य से दूसरे राज्यों की ओर, अपने घर की तरफ पलायन कर दिया इससे कई मजदूरों को अपनी जिंदगी से भी हाथ धोना पड़ा साथ ही संक्रमित लोगों की चपेट में आने का खतरा बढ़ गया । सरकार ने पूरे देश में 21 दिन का सम्पूर्ण लॉकडाउन तो कर दिया, मगर इंतजाम देखकर लगता हैं कि सरकार ने गरीब मजदूरों के बारे में विचार नहीं किया। और यदि विचार किया भी तो कोई ठोस नीति नहीं अपना पाई  यही वजह हैं कि लाखों की तादाद में गरीब मजदूर महानगरों से अपने घर की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। गरीब कामगारों के गांवों की पलायन की स्थिति भयानक रूप में देखने को मिली हैं आज देश का दैनिक वेतन भोगी दो जून की रोटी के लिए तरस रहा हैं ।सरकार को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि आखिर क्यों लाखों की तादाद में लोग शहरों से गांवों की और गांवों से शहरों की ओर पलायन करने को बाध्य हो जाते हैं इसके लिए ठोस आधार भूत स्तंभ क्या– क्या हो  सकते हैं । निश्चित रूप से यदि सरकार गांवों के परिवेश में विचार करें जैसे  उच्च शिक्षा संस्थान, रोजगार हेतु कम्पनियों,कारखानों का निर्माण,सड़क,बिजली,पानी की समुचित व्यवस्था ,कृषि , स्त्री शिक्षा पर विशेष बल , बच्चों की शिक्षा, जनसंख्या वृद्धि पर रोक आदि बिंदुओं पर यदि सारगर्भित विचार कर कार्य को क्रियान्वित करें तो निश्चय ही गरीबी कि दशा में सुधार होगा और इस तरह किसी संक्रमण काल में पलायन की भयावह स्थिति देखने को नहीं मिलेगी यकीनन ….यह महामारी का दौर गरीब तबके के लोगों के लिए एक अभिशाप के रूप में आया हैं  जो कि बेहद चिन्ता जनक  विषय है..।।
— रेशमा त्रिपाठी

रेशमा त्रिपाठी

नाम– रेशमा त्रिपाठी जिला –प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश शिक्षा–बीएड,बीटीसी,टीईटी, हिन्दी भाषा साहित्य से जेआरएफ। रूचि– गीत ,कहानी,लेख का कार्य प्रकाशित कविताएं– राष्ट्रीय मासिक पत्रिका पत्रकार सुमन,सृजन सरिता त्रैमासिक पत्रिका,हिन्द चक्र मासिक पत्रिका, युवा गौरव समाचार पत्र, युग प्रवर्तकसमाचार पत्र, पालीवाल समाचार पत्र, अवधदूत साप्ताहिक समाचार पत्र आदि में लगातार कविताएं प्रकाशित हो रही हैं ।