कविता

पहचान

मैं क्या हूँ?

मेरी पहचान क्या है

अपने ज़हन में

यह प्रश्न लिए

घूमता हुआ इंसान

इस/ प्रश्न का उत्तर

दर-ब-दर

तलाशता फिरता है

लेकिन / उसका उत्तर

उसको क्या पता

जिससे वह पूछ रहा है

उसका / उत्तर तो सिर्फ

ये हैं कि /

इंसान अपनी पहचान

स्वयं बनायें।।

— मनोज बाथरे

मनोज बाथरे

चीचली (जैन मंदिर के पास) जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश पिनकोड 487770 विगत 20 वर्षो से साहित्य सेवा, तत्कालीन समय में कुछ रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। वर्तमान समय में पुनः साहित्य के क्षेत्र में कुछ योगदान देने की इच्छा जागृत हुई तो सक्रिय हुआ।