लघुकथा

हम किसी से कम नहीं!

”सबकी चिंता यही है, कि 21 दिन के लॉकडाउन में हम क्या करेंगे?” नाहरू खान ने खुद से कहा.

”हम क्या करेंगे? क्या हम किसी से कम हैं!” उसने अपने आत्मबल को जगाने के लिए खुद को चुनौती दी.

यह चुनौती सिर्फ नाहर खान के सामने नहीं है, सारे देश, बल्कि सारी दुनिया के सामने है. हमारे देश की बात कुछ अलग है.
”कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा.” नाहरू खान गुनगुना रहे थे.

आज कोरोना हमारा दुश्मन बना बैठा है, फिर भी-
”इतिहास याद रखेगा
इस दिन को
जब पूरा संसार
डगमगा रहा था
तब
हिंदुस्तान जगमगा रहा था.” नाहरू खान को 5 अप्रैल रात 9 बजे के 9 मिनट वाले रोशनी के नजारे याद आ रहे थे.

”जहां की पहरेदार 23 साल की एक BSc ग्रेजुएट. सरपंच अपने गांव के मुहाने पर हाथ में एक डंडा लेकर खड़ी. हो जाए, ताकि गांव के अन्दर बेवजह आने वालों को रोक सके, उसके सामने कोई चुनौती क्या कर लेगी!” नाहरू खान का आत्मबल बढ़ता जा रहा था.

”हम क्या करेंगे? शिखर धवन क्या कर रहा है? वह जितेंद्र बनकर पत्नी आयशा के साथ डांस कर रहा है और सोशल मीडिया पर अपना वीडियो डालकर सबको फिल्म हमजोली के गीत ”ढल गया दिन, हो गई शाम” पर नचा रहा है.” इतना बड़ा क्रिकेटर अपने खाली समय का सदुपयोग कर रहा है. वाह!

”अति व्यस्त रहने वाली शैलजा ने ऑडियो-वीडियो बनाना सीखा और अब अपने गीत-भजन गाकर सबको संगीत का अभ्यास करने को प्रेरित कर रही है.” नाहरू खान ने खुद को मनाया.

”कोरोना वायरस के खिलाफ डॉक्टर्स, नर्सेज के साथ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी कंधे-से-कंधा मिलाकर बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. कारण एक ही है कि इस वैश्विक महामारी से लोगों को कैसे सुरक्षित रखा जाए. अपने कर्तव्यों का पालन करते समय इनके भी संक्रमित होने का खतरा लगातार बना रहता है, पर वे इससे विमुख नहीं होते. क्वारंटीन वॉर्ड में तैनात 24 साल की पूजा नाम की कांस्टेबल यही तो कर रही है!” कुछ कर दिखाने के लिए नाहरू खान खुद को भी तैयार कर रहा था.

”ऑफिस वाले लोग ‘वर्क फ्रॉम होम’ कर रहे हैं, बच्चे ऑन लाइन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. सामाजिक दूरी के कारण घरेलू सहायक उपलब्ध न होने से हम दोनों बुजुर्गों का काम बढ़ गया है. पर यह अकेलापन! मुझे भी नया और उपयोगी कुछ तो करना चाहिए न!” नाहरू खान का मंथन चल रहा था.

”तुम किसी से कम नहीं!” शायद किसी ने नाहरू को जगाया, ”तुम 62 साल के हो तो क्या! रिटायर हो तो क्या! ”खुद को रि-टायर करो” मिकेनिज़्म तो तुम्हारी घुट्टी में है. दुनिया को कुछ कर दिखाओ!” नाहरू खान मन से तैयार हो गया था.

”यूट्यूब देख नाहरू खान ने 48 घंटे में बना डाली ऑटोमेटिक सैनिटाइजिंग मशीन, सीएम बोले- सलाम!”
मंदसौर के रहने वाले नाहरू खान ने 48 घंटे के भीतर यूट्यूब वीडियो देखकर ऑटोमेटिक सैनिटाइजिंग मशीन तैयार कर डाली. कोविड-19 से लड़ने के लिए नाहरू खान ने इस मशीन को जिला अस्पताल को गिफ्ट किया है.

कई अखबारों में बड़ी-बड़ी सुर्खियों में यह खबर छपी और नाहरू खान के दिखा दिया कि हम किसी से कम नहीं!

अकेलेपन को संबल बनाकर नाहरू खान ने इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों अंकित कर दिया है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “हम किसी से कम नहीं!

  • मनमोहन कुमार आर्य

    लेख का विषय व कथा अच्छी लगी। धन्यवाद्।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको हमारी यह रचना अति उत्तम लगी. रचना का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया व धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    संकट की इस विकट घड़ी में बच्चे-बुजुर्ग, नर-नारी अपनी-अपनी तरह से योगदान दे रहे हैं. लेखक भी किसी से कम नहीं हैं. वे निरंतर सबको जागरुक करने का काम कर रहे हैं. हरू खान को हमारा सलाम.

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